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जैन शास्त्रों की असंगत बातें !
गणित में अक्षर अक्षर सत्यता का नमूना। लोग अब इस बात को तो स्वीकार करने लग गये हैं कि दर असल ही खगोल-भूगोल की बातों के बाबत जैन शास्त्रों में जो वर्णन है, वह सत्य साबित नहीं होता; मगर और सब बातों की अक्षर अक्षर सत्यता पर अब भी उनका अंधविश्वास बना हुआ है। इसका कारण यही प्रतीत होता है कि या तो धर्मजीवी लोगों ने अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिये जान बूझ कर लोगों को मुगालते (भ्रम) में डाल रखा है या उन्होंने खुद शास्त्रों के बचनों को कसौटी पर कसने का कष्ट नहीं उठाया। वरना जो गलतियाँ और असत्य बातें देखने में आ रही हैं, वे इनसे छिपी नहीं रहनी चाहिये थीं। भूगोल-खगोल के सम्बन्ध में लोगों के दिमाग में यह बात खामख्वा जमा दी गई है कि जो शास्त्र विच्छेद गये, उनमें इन सब बातों का सही सही वर्णन था। वर्तमान जैन सूत्रों में खगोल-भूगोल का कुछ भी वर्णन नहीं होता तो हम इस कथन को स्वीकार करके भी संतोष कर लेते; मगर शास्त्रों को बांचने वाले अच्छी तरह से जानते हैं कि इन विषयों पर सूत्रों में काफी लिखा हुआ है। मो भी अनेक स्थलों में पड़ी बृतियों के साथ अन्यों के कथनों को लहजे के साथ मिथ्या बताते और खण्डन करते हुए। अक्षर अक्षर सत्य मानने वालों की तरफ से शास्त्र विच्छेद गये का कहना तो चल ही नहीं सकता। अब तो जो लिखा हुआ है उसीको सत्य साबित कर दिखाना अपने कर्तव्य को पालन
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