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जैन शास्त्रों की असंगत बातें !
प्रकार मानने से ६५ वर्षों में ३८ अधिक मास हुये मगर ६५ वर्षों के वर्तमान पञ्चाङ्गों के अधिक मास देखने से ३५ ही अधिक मास पाये जायेंगे कारण अधिक मास होने का यह नियम है कि १६ वर्षों में ७ अधिकमास होते हैं। जैन शास्त्रों के और वर्तमान भारतीय ज्योतिष गणना के हिसाब में सिर्फ ९५ वर्षों में ३ अधिक मास का अन्तर पड़ता है। अगर जैन शास्त्रों के अनुसार कई शताब्दियों तक अधिक मास का बरताव किया जाय तो नतीजा यह होगा कि बैसाख-जेठ के महीसे में सख्त सर्दी और पौष-माघ में सख्त गरमी की मृतु का भी अवसर आ जायगा। यह है सर्वज्ञों की गणित के असर का नमूना । । वर्तमान विज्ञान के अन्वेषणों से चन्द्रमा की बाबत बहुत बातें विस्तार से जानी गई हैं जिन को इस छोटे से लेख में लिखना असम्भव सा है। मगर थोड़ी सी बातय हां बतलाने की कोशिश करूंगा। चन्द्रमा गेन्द की तरह एक गोलाकार पिन्ड है जिसका व्यास २१६० माइल से २४६ गज कम का है। सूर्य के चारों तरफ घूमने वाले पिन्डों को ग्रह कहते हैं। हमारी पृथ्वी, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, युरेनिश, नेपच्युन, प्लुटो आदि ग्रह हैं जो सूर्य के चौगिर्द घूमते रहते हैं। इन ग्रहों के चौगिर्द घूमने वाले पिन्डों को इनके उपग्रह कहते हैं। चन्द्रमा हमारी पृथ्वी का उपग्रह है और पृथ्वी के चौगिर्द दीर्घ वृत्त में घूमता है। इसी लिये कभी छोटा और कभी बड़ा दिखाई पड़ता है। चन्द्रमा पृथ्वी से २२१६१० माइल की दूरी पर है
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