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जैन शास्त्रों की असंगत बातें !
वृक्ष, पशु, पक्षी, मनुष्य आदि का होना सम्भव नहीं । चन्द्रमा पर हवा न होने के कारण वहाँ शब्द भी सुनाई नहीं पड़ सकता चंद्रमा पर वायु मण्डल न होने के कारण जिस तरफ सूर्य्य का प्रकाश पड़ता है, वहां पर अत्यन्त गरमी और छाया की तरफ अत्यन्त सरदी पड़ती है ।
चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण बहुत ही कम है। चंद्रमा के बाबत की विज्ञान द्वारा जानी हुई बातें बहुत अधिक हैं । इस छोटे से लेख में कहाँ तक लिखी जायँ । केवल थोड़ी सी बातें लिखकर संतोष करना पड़ा है।
चंद्रमा खगोल वर्ती पिन्डों में हमारे सब से निकट है । इसलिये वर्तमान विज्ञान के अन्वेषणों से इसके बाबत जो जो बातें जानी गई हैं, वे बहुत सही सही और स्पष्ट हैं । सही सही बातें जाने हुए ऐसे पिन्ड के बाबत बैल, हाथी, घोड़े के रूपों द्वारा आकाश में उठाये फिरने आदि नाना तरह की अर्थहीन कल्पना करके सर्वज्ञता का परिचय देना कहां तक सत्य है, यह तो विचार शील पाठकों के खुद के समझने का विषय है; मगर ग्रहणों के अन्तर-काल और नित्य, पूर्ण राहु की कल्पना द्वारा बताये हुए प्रसंगों के असत्य साबित होने के लिये हम दावे के साथ कह सकते हैं कि इन सर्वज्ञ वचनों को सत्य साबित करना एक विचारशील मनुष्य के लिये तो असम्भव है । अब अगले लेख मैं मैं यह बताऊँगा कि मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि आदि के विषय में हमारा जैन शास्त्र क्या क्या कहता है और वर्तमान विज्ञान के अन्वेषण क्या हैं ?
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