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जैन शास्त्रों की असंगत बातें !
सी अवस्था दिखाई देने लगती है । इन धब्बों में से एक धब्बा सन् १८६२ में मापा गया था, जो ६२००० मील लम्बा और ६२००० मील चौड़ा पाया गया। सूर्य पिन्ड के मूलद्रव्य (Elements) जानने के लिये जब रश्मि - विश्लेषण - यन्त्र द्वारा देखा गया तो Plate पर नाना रंग की करीब १४/१५ हजार रेखाएँ पड़ीं, जिनसे यह अनुमान किया गया है कि वहां पर मूल द्रव्य (Elements) करीब ४६ हैं । सूर्य के बाबत बहुत अन्वेषण हुए हैं जिनका ब्यौरेवार वर्णन पढ़ने से सूर्य की असलियत स्पष्ट हो जाती है । क्षेत्र - मापक यन्त्र द्वारा खगोल- पिन्डों की दूरी आसानी से मापी जा सकती है। इस यन्त्र से सूर्य की त्रिकोणमिति यानी पीथागोरस सिस्टम द्वारा ऊंचाई की दूरी का निकालना आसान है । डायलर सिस्टम से प्रकाश अपने उगम स्थान से हमारी तरफ कितने वेग से आ रहा है, इसका पता आसानी से लग जाता है । रश्मि-विश्लेषण यन्त्र द्वारा खगोल- पिन्डों की रासायनिक बनावट, गति, दूरी, ठोस है या वाष्प-रूप, गैसों का तापक्रम, घनत्व, विद्युतीय और चुम्बकीय आकर्षण आदि अनेक बातों का पता लगाया जाता है । बोलोमीटर यन्त्र से ग्रहों की गरमी सरदी का अनुपात निकाल जाता है । विद्युत मापक यन्त्र से ग्रहों के विद्युत प्रवाह का पता लगाया जाता है । इन यन्त्रों द्वारा सूक्ष्मातिसूक्ष्म माप निकाला जा सकता है । उदाहरण के तौर पर यह विद्युत मापक यन्त्र पांच मील की दूरी पर जलती हुई एक मोमबत्ती
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