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राजा बाल-मूलराज अजयपाल की मृत्यु के बाद उसके पुत्र मूलराज का बाल्यावस्था में ही राज्याभिषेक हुआ । मुहम्मद गौरी ने गजनी से मुलतान (सिन्ध) हो कर वि.सं. १२३४ में गुजरात पर आक्रमण किया । दोनों सैन्य आबू पर्वत के नीचे बनास नदी के किनारे गाडर घाट में आमने सामने आ गये । मन्त्री सज्जन की सूझ और सलाह से रानी नायकी ने बाल मूलराज को अपनी गोद में लेकर किसी ऊँचे स्थान से युद्ध की बागडोर सम्हाली । गौरी को हार खाकर सन्धि कर गजनी वापिस लौटना पडा । इसके तुरन्त बाद मूलराज की मृत्यु हो गई और उसका छोटा भाई भीमदेव (भोला) राजगद्दी पर आया। इसके राज्यकाल (वि.सं. १२३५ से १२९८) में काफी अराजकता फैल गई थी और अनेक सामन्त राजा स्वतंत्र हो गये थे।
पृथ्वीराज चौहान अजमेर का राजा सोमेश्वर चौहाण वि.सं. १२२६ में गुजरात के साथ किये गये युद्ध में मारा गया । उसके बाद उसका पुत्र पृथ्वीराज चौहाण राजगद्दी पर आया यह बडा पराक्रमी था । इसने वि.सं. १२४७ (ई.स. ११९१) में तराईन के मैदान में मुहम्मद गौरी की सेना को परास्त किया। बाद में कन्नोज के जयचन्द की सहायता से वि.सं. १२४९ में गौरी विजयी हुआ और सदा के लिए हिन्दू साम्राज्य अस्त हुआ । गौरी के बाद तुर्क सुल्तान बने । इनमें कुछ दास थे तो कुछ दासों की सन्तान थे । पृथ्वीराज के बाद चौहाणो की शाखाओं ने १०० वर्ष तक तुर्को का मुकाबला किया । अन्त में अलाउद्दीन खिलजी ने इनका दमन किया ।
राजा मुंज मालवराजा मुंज (वि.सं. १०३१ से १०५२) का दूसरा नाम वाक्पतिराज था । यह अत्यन्त रूपवान् था । राजा सीयक को यह शिशु अवस्था में मुंज नाम के घास में मिला था । अतः इसका नाम मुंज रखा था और राजगद्दी इसे दी थी। सीयक ने अपने सच्चे पुत्र सिन्धुराज को युवराज बनाया था।
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