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मन्त्री चाहड
उदयन का तीसरा पुत्र चाहड था । यह बडा पराक्रमी था । इसे 'राजघरट्ट' का बिरुद था और यह मालवा का दंडनायक था ।
मन्त्री सोल्लाक उदयन का चौथा पुत्र सोल्लाक था । इसे 'सामंतमंडली-सत्रागार' का बिरुद था।
मंत्री सज्जन सज्जन जैन था । नित्य पूजा, प्रतिक्रमण करता था । युद्ध के मैदान में भी अपने नित्य कर्तव्यों को निभाता था । सज्जन की नैतिकता से सिद्धराज प्रभावित था और उसे किसी उच्च पद पर नियुक्त करना चाहता था । वि.सं. ११७० में सिद्धराज ने राखेंगार को हरा दिया और जब राखेंगार मर गया तब सज्जन को सौराष्ट्र का दंडनायक नियुक्त किया ।
सज्जन ने गिरनार तीर्थ के मन्दिर का आमूल-चूल जीर्णोद्धार करवाया जिसमें सौराष्ट्र की कर-वसूली में से ७२ लाख द्रव्य खर्च कर भव्य जिनप्रासाद बनवाया और राजा यदि यह द्रव्य मांगे तो वणथली के संघ से यह धन मिल सके ऐसा प्रबन्ध भी किया ।
वि.सं. ११८५ में सिद्धराज गिरनार तीर्थ पर यात्रा निमित्त आया । तब वह 'पृथ्वीजय-प्रासाद' के दर्शन कर अतीव प्रसन्न हुआ । बाद में जब सिद्धराज ने सौराष्ट्र की कर-वसूली की रकम मांगी तब सज्जन ने उक्त स्पष्टता करते हुए कहा- महाराज ! नाहें तो धन लेने और चाहें तो गुरा लेने ! "एको प्रमा चाहिए' यह कहते हुए सिद्धराज ने आदेश दिया कि यह रकम जिनमन्दिर खाते खर्च लिख दो। .
वि.सं. १२०८ में कुमारपाल ने मालव जीता तब वहाँ दंडनायक पद पर सज्जन को नियुक्त किया । बाल मूलराज (वि.सं. १२३२-१२३४) के राज्यकाल में गुजरात के महामात्य पद पर रहकर सुन्दर व्यूहरचना से मुहम्मद गौरी के साथ युद्ध में गुजरात को विजय दिलवाई ।
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