Book Title: Jain Itihas
Author(s): Kulchandrasuri
Publisher: Divyadarshan Trust

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Page 107
________________ मोहजुदीन बहरान : (ई.स. १२३९-४२) ने शमसुद्दीन के राज्यकाल में भारत में घुसे हुए मुगलों को लाहौर से भगाया । इसके बाद इसका भाई अलाउद्दीन मसाऊद ई.स. १२४२ में बादशाह बना । यह विषयी था अतः इसके चाचा नासीरुद्दीन ने इसे ई.स. १२४६ में भ्रष्ट किया और वह स्वयं शासक बना । यह सादगीपरस्त, मिहनतकश और एकपत्नीव्रती था । इसके बाद ई.स. १२६६ में ग्यासुद्दीन बल्व बादशाह बना । यह न्यायप्रिय और बुद्धिमान् था । इसने राज्य भर में शराब पीने का निषेध किया था। इसके बाद ई.स. १२८३ में कैकुबाद आया । जिसने छ वर्ष तक शासन किया। इसके साथ गुलाम वंश का अंत आया। खिलजी वंश इसके बाद ई.स. १२८९ में जलालुद्दीन खिलजी दिल्ली की राजगद्दी पर आया । यह चतुर, दयालु और पराक्रमी था । इसने मुगलों को अपनी पुत्री देकर उन्हें मुसलमानधर्मी बनाया था । इसकी हत्या कर इसका भतीजा अलाउद्दीन ई.स. १२९८ में राजगद्दी पर बैठ गया। अलाउद्दीन खिलजी 'खूनी अलाउद्दीन खिलजी क्रोधी और निर्दय था । एक ही दिन में इसने तीस से चालीस हजार मुगलों को तलवार के घाट उतरवा दिया, जो नये मुसलमान बने थे। अत: यह खूनी कहलाया। चितौड की रानी पद्मिनी को पाने के लिए चितौड पर आक्रमण किया, जिसमें राणा भीमसिंह और हजारों सरदारों ने केशरिया किया तथा पद्मिनी ने भी हजारों क्षत्रियाणियों के साथ जौहर किया । रणथंभोर के राजा हम्मीर ने इसके किसी मुस्लिम अधिकारी को शरण दे दी थी। इस वृत्तान्त से आवेश में आकर इसने ई.स. १३०० में रणथंभोर को जीतने के लिए अपने सेनापति उगलखाँ को बडे सैन्य के साथ भेजा, जिसे हम्मीर के दण्डनायक कालूशाह ने मार डाला और पूरे सैन्य को पराजित किया । इससे अत्यन्त क्रुद्ध होकर ई.स. १३०१ में बादशाह स्वयं सैन्य के साथ चढ आया। एक वर्ष तक युद्ध चला जिसमें राणा हम्मीर ने दण्डनायक कालूशाह एवं हजारों शूरवीरों के साथ प्राणों की बाजी लगा दी किन्तु शरणागत को वापिस नहीं सौंपा। यह वृत्तान्त 'हम्मीर-हठ' के नाम से प्रसिद्ध है। इसने अपने शासनकाल में पाटण, खंभात, सोमनाथ, कुंभारिया, तारंगा, जालोर, आबू, चन्द्रावती इत्यादि स्थानो को लूटा । वहाँ के मन्दिरों और मूर्तियों को तोडा। वडगच्छ के आ० श्री वज्रसेनसूरि के यौगिक चमत्कारों से बादशाह प्रभावित (९७)

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