Book Title: Jain Itihas
Author(s): Kulchandrasuri
Publisher: Divyadarshan Trust

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Page 148
________________ जैन ग्रन्थों और उनके रचयिता का विवरण (चालु) समय कर्ता ग्रन्थ वि.सं. १५५४-५५ | आ० श्री इन्द्रसिंहसूरि | 'भुवनभानु चरित्र' और ५७ 'मन्हजिणाणं की टीका 'उपदेशकल्पवल्ली' और 'बलिनरेन्द्रकथा' वि.सं. १५७६-७८ आ० श्री सौभाग्यनन्दिसूरि 'मौन एकादशी कथा' और | "विमलनाथ-चरित' वि.सं. १६१९-३६ आ० श्री शीलदेवसूरि | सटीक 'यतीजीतकल्प' और एवं १६६४ | 'श्राद्धजीतकल्प' 'श्री वृन्दारुवृत्ति' एवं "विनयंधर चरित' वि.सं. १६३९ से पं. श्री हेमविजय गणि | पार्श्वनाथ चरित्र महाकाव्य १६८७ 'कथारत्नाकर' 'विजयप्रशस्ति महाकाव्य' आदि वि.सं. १६८०-८८ | उपा. श्री गुणविजय गणि | | 'विजयप्रशस्तिमहाकाव्य के अन्तिम पांच सर्ग' एवं महाकाव्य की टीका 'विजयदीपिका, 'सकलार्हत् स्तोत्र टीका आदि वि.सं. १६६८ । | पं. श्री गुणविजय गणि 'गद्य श्री नेमिनाथ चरित' | वि.सं. १६७४ | पं. श्री संघविजय गणि 'कल्पप्रदीपिका' वि.सं. १६९३ | महोपाध्याय श्री गुणविजय | कल्पसूत्र की 'कल्पलता' लघुटीका | १७वीं सदी के 'हीरसौभाग्य-काव्य उत्तरार्ध में | स्वोपज्ञवृत्ति' वि.सं. १७५० करीब | पं. श्री भोजसागर | 'द्रव्यानुयोगतर्कणा' वि.सं. १७९३ | आ.श्री भावप्रभसूरि पूर्णि- | 'प्रतिमा-शतक की टीका' मागच्छीय (१३८)

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