Book Title: Jain Itihas
Author(s): Kulchandrasuri
Publisher: Divyadarshan Trust

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Page 146
________________ ग्रन्थ जैन ग्रन्थों और उनके रचयिता का विवरण समय कर्ता वि.सं. ११६० आ० श्री देवचन्द्रसूरि पूर्ण- | 'संतिनाहचरियं' तल्लगच्छीय वि.सं. ११०३ । आ० श्री महेश्वरसूरि 'नागपंचमीकहा' और 'पुष्पवतीकथा' वि.सं. ११२३ आ० श्री चन्द्रसूरि नागेन्द्र- | 'पाक्षिक-सूत्र वृत्ति' गच्छीय वि.सं. ११९३ आ० श्री चन्द्रसूरि 'मुणिसुव्वयचरियं' और 'संगहणीसुत्त' |१३वीं सदी उत्तरार्ध | आ० श्री रामभद्रसूरि 'कालिकाचार्य-कथा' । १३वीं सदी उत्तरार्ध | आ० श्री प्रद्युम्नसूरि 'वाद-स्थल' (खरतरगच्छीय) (प्रबोध्यवादस्थली' के सामने) १३वीं सदी उत्तरार्ध | आ० श्री नरचन्द्रसूरि 'कथारत्नसागर' और ज्योतिःसार (नारचन्द) वि.सं. १३२२ आ० श्री मुनिदेवसूरि 'शान्तिनाथचरित' १४वीं सदी का आ० श्री आम्रदेवसूरि 'कथाकोश' वगैरह पूर्वार्ध पल्लीवाल गच्छीय वि.सं. १३५० के गणि श्री नयप्रभ 'गुरुतत्त्वप्रदीप' अपरनाम __ आसपास । उत्सूत्रकन्दकुदाल' वि.सं. १३५० का आ० श्री व्रज्जसेनसूरि 'लघुत्रिषष्टिशलाकापुरुष' आसपास । और 'गुरुगुणषट्त्रिंशक' (१३६)

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