Book Title: Jain Itihas
Author(s): Kulchandrasuri
Publisher: Divyadarshan Trust

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Page 147
________________ ___ कर्ता जैन ग्रन्थों और उनके रचयिता का विवरण (चालु) समय ग्रन्थ वि.सं. १३८५] । । आ० श्री राजशेखरसूरि 'न्यायकदली' की पंजिका से १४१८ । और टीका, 'प्राकृतद्वयाश्रय' की वृत्ति, 'विनोदात्मक चतुरशीति कथाकोश' 'स्याद्वादकलिका' 'दानषट्त्रिंशिका' 'षड्दर्शनसमुच्चय' और प्रबन्धकोश' । वि.सं. १४१० । आ० श्री मुनिभद्रसूरि, जिनसे | 'शान्तिनाथ महाकाव्य' फिरोज तुगलक प्रभावित था । वि.सं. १४०० । आ० श्री चन्द्रशेखरसूरि जी । | 'उषितभोजनकथा' और के आसपास बडे प्रभावशाली हुए हैं। 'यव राजर्षिकथा' आ० श्री जयानन्दसूरि 'स्थूलभद्रचरित' वि.सं. १४९० | आ० श्री रामचन्द्रसूरि 'विक्रमचरित' और 'पंचदण्डातपत्र छत्रप्रबन्धकथा' " वि.सं. १५०५ | पं. जिनसूरगणि 'गौतमपृच्छा-बालावबोध', 'प्रियंकरनृपकथा' और 'रूपसेनचरित' 'श्रीपालचरित' | "उत्तरज्झयनकथा' (संस्कृत) वि.सं. १५१४ | पं. श्री सत्यराज गणि वि.सं. १५२० । श्री ज्ञानकीर्ति गणि वि.सं. १५३५ । आ० श्री भावचन्द्रसूरि वि.सं. १५३६ | आ० शुभलाभ गणि 'गद्य शान्तिनाथचरित' 'उपदेशमाला अवचूरि' (१३७)

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