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ई.स. १३९८ में तैमूरलंग ने आक्रमण कर मुहम्मद तुगलक को जीत लिया । इस प्रकार तुगलक वंश का अन्त हुआ और तैमूरलंग दिल्ली का बादशाह हुआ।
__ तैमूरलंग ई.स. १३९८ में यह समरकन्द से भारत पर चढ आया और मुहम्मद तुगलक को जीतकर दिल्ली का बादशाह बना । यह एक पांव से लंगडा था । यह कुल ३५ युद्धों में लडा । इस समय मेवाड के महाराणा कुंभा शक्तिशाली राणा थे । ई.स. १४०५ में तैमूर बुखार से मर गया ।
तैमूर के बाद क्रमशः दौलतखां (ई.स. १४०५-१४१६), खीजरखां (ई.स. १४१६-१४२७), मुबारिक (ई.स. १४२७-३५) और मुहम्मद (ई.स. १४३५-५०) दिल्ली के बादशाह रहे । यह मुहम्मद विषयान्ध था अतः बहलोल लोदी स्वयं बादशाह बन बैठा । इस तरह लोदी वंश उदय में आया ।
लोदीवंश लोदीवंश दिल्ली के राज्य पर करीब ७५ वर्ष रहा । क्रमशः बहलोल लोदी (ई.स. १४५०-१४८८), सिकन्दर लोदी (ई. १४८८-१५०७) और इब्राहीम लोदी (ई.स. १५०७-१५२६) बादशाह रहे ।
ई.स. १५२६ में तैमूर के वंशज बाबर ने भारत पर आक्रमण किया। पानीपत के मैदान में युद्ध में इब्राहीम लोदी को मार कर बाबर विजयी हुआ । इस तरह लोदी साम्राज्य का अन्त हुआ और मुगल साम्राज्य का उदय हुआ ।
संघवी आभू थराद (बनासकांठा-गुजरात) निवास शेठ आभू और जिनदास दोनों भाई थे । शेठ आभू को 'पश्चिम का माण्डलिक' बिरुद प्राप्त था । यह बडा बहादुर था । रण-मैदान में अकेला ही हजारों के लिए पर्याप्त था, फिर भी सामायिक-प्रतिक्रमण, प्रभुपूजा वगैरह धर्म-क्रिया में एकाग्र हो जाता था।
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