________________
अंजना।
___ इस चकवीसे भी वह ज्यादा
बार बार बिलखाती है ।
(७४) हूँ हत्यारा, हूँ मैं पापी,
बड़ा घातकी हूँ मैं क्रूर। जो अबलाको दुख देनेको,
रहता हूँ उससे अति दूर॥
(७५) औरोंसे बातें करता हूँ,
घुल घुल कर प्यारी प्यारी । . पर अपनी सच्ची प्यारीको, ......... कहता हूँ. दुष्पा नारी ॥
निजको धिक् धिक् कह पछताता,
___ चला गया प्यारीके पास। लगा माँगने क्षमा दीन हो, . मनमें होता हुआ उदास ॥
(७७) चरणोंमें गिर पड़ी अंजना,
मेरे जीवन, मेरे प्रान । मेरे कर्मोका दूषण था, _ नहीं आपका दोष सुजान ।।
..
. .
मेरे मोती, मेरे माणिक,
. चन्दा हो मेरे प्रभु आप ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org