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( ३ ) वह रुपया जो भारतवर्ष विदेशी कर्जमें चुकाता रहता है; क्योंकि भारतवर्ष अपने पुराने (विदेशी ) कर्जको बराबर चुकाता भी जाता है।
( ४ ) वह रुपया जो भारतवर्षमें रहनेवाले विदेशी सौदागर, वकील, डाक्टर और अनेक सरकारी कर्मचारी अपनी आमदनीमें से बचा बचाकर अपने घर अथवा भारतवर्षके बाहर विदेशोंको भेजते रहते हैं।
(५) वह रुपया जो भारतवर्षके व्यापारियोंको विदेशी जहाजवालोंको किरायेकी तरह पर देना पड़ता है । क्योंकि भारतवर्षके पास जहाज़ नहीं हैं; कुछ हैं भी तो उनकी संख्या ' नहीं' के बराबर है। जहाजोंके किरायेमें भारतवर्षको बहुत रुपया देना पड़ता है। यह सब रुपया विदेशियोंको मिलता है अर्थात् विदेशोंमें पहुँचता है।
( ६ ) वह रुपया जो भारतवासी विदेशियोंमें जाकर खर्च कर आते हैं । वह रुपया जो भारतवासी विदेशोंको सहायतार्थ भेजते हैं। जैसे आज कल युद्धमें सहायता देनेके लिए यहाँसे लाखों रुपया इंग्लेंड और फ्रांसमें पहुंच रहा है।
(७ ) वह रुपया जो भारतसरकार अँगरेजी सरकारको देरी है । अँगरेजी सरकार भारतवर्षके शासनका जो प्रबंध इंडिया आफिर द्वारा करती है उसीके बदलमें यह रुपया लेती है । सन् १९०९।१० ई० में ( अर्थात् एक वर्षमें ) इस खर्चके लिए २८ करोड़ रुपया भारतवर्षको देना पड़ा था। प्रति वर्ष लगभग इतना है रुपया देना पड़ता है।
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