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पुस्तक-परिचय।
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और बहिरंग भावोंका तथा आचरणोंका सूक्ष्म निरीक्षण होना चाहिए । पुस्तककी हिन्दी अच्छी है । साधारण श्रावकवर्ग इससे शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं । आधा आनेका टिकट भेजनेसे " लाला फत्तूराम जैन, सम्पादक जैनोदय, लुधियाना." इस पुस्तकको मुफ्त भेजते हैं।
परीक्षामुख । लेखक और प्रकाशक, पं० घनश्यामदास जैन, धर्माध्यापक स्याद्वादविद्यालय, काशी । मू० छह आने । आचार्य. माणिक्यनन्दि स्वामीके प्रसिद्ध न्यायग्रन्थ परीक्षामुखका यह भाषानुवाद है । भाषा और भी सहज लिखी जाती और विषय और भी समझाकर लिखा जाता तो अच्छा होता, पाठकोंका अधिक उपकार होता । आप्तपरीक्षाकी अपेक्षा इसकी छपाई और कागज़ दोनों अच्छे हैं । स्वाध्यायप्रेमियोंको इसकी एक एक प्रति अवश्य मँगा लेना चाहिए और प्रकाशकके उत्साहको बढ़ाना चाहिए । · हिन्दी शिक्षा, पहला भाग । प्रकाशक, मोहकमलाल मैनेजर, जैनशिक्षाप्रचारक कार्यालय, कूचा सेठ, देहली । मूल्य एक आना । जैनविद्यार्थियोंको हिन्दीकी शिक्षा देनेके अभिप्रायसे यह पाठ्य पुस्तक लिखी गई है। इसमें छोटे छोटे १७ पाठ हैं जिनमें तीन पाठ कविताके हैं । पाठ प्रायः सब ही अच्छे और शिक्षाप्रद हैं । भाषा भी साधारतः अच्छी है । पुस्तक सचित्र है । जो चित्र लीथोके छपे हुए हेर रंगके हैं वे यदि न दिये जाते तो हमारी
समझमें पुस्तककी शोभा उलटी बढ़ जाती । · उपदेशरत्नमाला । अनुवादक, विट्ठल विष्णु उर्फ रावजी भावे । प्रकाशक, सेठ मोतीलाल रावजी गांधी, शोलापुर । मूल्य
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