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जैनहितैषी
AVARKHAAR
विविध-प्रसङ्ग। १ बालक भट्टारक और शेतवाल पंचोंका प्रयत्न।
ग त अंकमें हमने लातूरके भट्टारककी गद्दीके सम्बAAVAT न्धमें एक नोट लिखा था। उसके सम्बन्धमें शेत
वाल समाजके एक प्रतिष्ठित सज्जन श्रीयुत नेमि- नाथ अनन्तराज पांगलका पत्र हमारे पास आया है। वे लिखते हैं कि “ आपने अपने नोटमें जो यह लिखा कि लातूरकी गद्दीपर एक बालक बिठा दिया गया है, सो ठीक नहीं है। वास्तविक बात यह है कि अपनेको ‘पण्डित' कहलवानेवाले एक रामभाऊ नामक व्यक्तिने स्वर्गस्थ भट्टारक विशालकीर्तिजीके बाकायदा नियत हुए पंचोंकी सम्मति लिये बिना ही, केवल भोले लोगोंको ठगनेके लिए एक अज्ञान बालकको गद्दीपर बिठानेका फार्स किया है-बिठाया नहीं है। परन्तु यथार्थमें वह बालक और ब्रह्मचारी कहलानेवाले रामभाऊ न हमारे समाजके गुरु हैं और न उनमें गुरुके कोई लक्षण ही हैं। इन दोनोंको शेतवाल समाजका एक बहुत बड़ा भाग पूज्य माननेसे इंकार करता है और अब तो उन पर स्व. विशालकीर्ति भट्टारककी गद्दीके पंचोंने कोर्टमें मुकद्दमा भी दायर कर दिया है। सारांश, उक्त अज्ञान अशिक्षित लड़का हमारे समाजका भट्टारक नहीं है और हम उसे वैसा मानते भी नहीं हैं।" इसमें सन्देह नहीं कि गद्दीके पंचोंका प्रयत्न बहुत ही प्रशंसनीय है और हमें आशा है कि वे उसमें पूरी पूरी सफलता लाभ करेंगे । क्या हमारे गुजराती भाई
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