Book Title: Jain Hiteshi 1914 Ank 12
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 90
________________ जैनहितैषी - 1 अपनी सारी आयु बिता दी है; तो भी अत्युक्ति न होगी । दादा भाई कहते हैं कि यहां हर मनुष्यके वार्षिक आयकी औसत बीस रुपये है | लार्ड क्रोमर इसे सत्ताइस बताते हैं । यदि कोमर साहबहीकी बात सत्य मान ली जाय, तो भी यह जो सत्ताइस रुपये प्रति मनुष्यकी एक वर्षकी आयके रक्खे गये हैं, उनमें मिलों के मालिकों और बड़े बड़े व्यापारियोंकी आमदनी भी जुड़ी हुई है। किसानोंकी सच्ची स्थिति देखी जाय तो सालमें आठ मास उन्हें भोजन मिलता है । शेष चार महीने उन्हें महाजनोंसे कर्ज उधार लेकर बिताने पड़ते हैं । यह बम्बई प्रदेशके कृषकोंकी दशा है और यह शोचनीय स्थिति दिनों दिन और ख़राब होती जा रही है । "; ७५८ ५ बिना अन्न पच्चीस दिनतक जीता रहा । कई महीने हुए इटली में जो भूकम्प आया था उसके विषयमें बहुतसी कहानियां सुनी जाती हैं । इस विषय में अभी एक नई बात मालूम हुई है । माइकल कैओलो Miecael caiolo नामका एक मनुष्य पच्चीस दिनोंतक अन्धकारमें भूखा पड़ रहनेके बाद जीता लौट आया है । उसका कहना है कि ज्योंही उसे कुछ धक्कासा लगा, वह समझ गया कि भूकम्प आरहा है । भागकर वह एक अस्तबलमें छिप रहा, परन्तु भूकम्पके वेगसे घर गिर गया और उसीके साथ अस्तबल भी ढल पड़ा । बेचारा कैओलो उसीके नीचे दब गया । उससे बाहर निकलनेको कहीं राह न मिली । विवश हो वहीं पच्चीस दिनोंतक अन्धेरेमें भूखा पड़ा रहा । परन्तु भाग्यवश एक नलके टूट जाने 1 For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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