Book Title: Jain Hiteshi 1914 Ank 12
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 98
________________ राष्ट्रीय ग्रन्थ । १ सरल-गीता। इस पुस्तकको पढ़कर अपना और अपने देशका कल्याण कीजिये । यह श्रीमद्भगवद्गीताका सरल-हिन्दी अनुवाद है। इसमें महाभारतका संक्षिप्त वृत्तान्त, मूल श्लोक, अनुवाद और उपसंहार ये चार मुख्य भाग हैं। सरस्वतीके सुविद्वान् संपादक लिखते हैं कि यह 'पुस्तक दिव्य है।' मूल्य ॥॥ - जयन्त । शेक्सपियरका इंग्लैंडमें इतना सम्मान है कि वहांके साहित्यप्रेमी अपना सर्वस्व उसके ग्रन्थोंपर न्योछावर करनेके लिए तैयार होते हैं। उसी शेक्सपियरके सर्वोत्तम ' हैम्लैट ' नाटकका यह बड़ा ही सुन्दर अनुवाद है। मूल्य ॥3; सादी जिल्द ॥ ३ धर्मवीर गान्धी। इस पुस्तकको पढ़कर एक बार महात्मा गान्धीके दर्शन कीजिये, उनके जीवनकी दिव्यताका अनुभव कीजिये और द० अफ्रिकाका मानचित्र देखते हुए अपने भाइयोंके पराक्रम जानिये। यह अपूर्व पुस्तक है । मूल्य ।। ४ महाराष्ट्र-रहस्य । महाराष्ट्र जातिने कैसे सारे भारतपर हिन्दू साम्राज्य स्थापित कर संसारको कंपा दिया इसका न्याय और वेदान्तसंगत ऐतिहासिक विवेचन इस पुस्तकमें है । परन्तु भाषा कुछ कठिन है । मूल्य - _ ५ सामान्य-नीतिकाव्य । सामाजिक रीतिनीतिपर यह एक अनूठा - काव्य ग्रन्थ है। सब सामयिक पत्रोंने इसकी प्रशंसा की है । मूल्य . इन पुस्तकोंके अतिरिक्त हम हिन्दीकी चुनी हुई उत्तम पुस्तकें भी अपने यहाँ विक्रयार्थ रखते हैं। नवनीत-मासिक पत्र । राष्ट्रीय विचार । वा० मूल्य २]. यह अपने ढंगका निराला मासिक पत्र है। हिन्दू देश, जाति और धर्म इस पत्रके उपास्य देव हैं। आत्मिक उन्नति इसका ध्येय है । इतना परिचय पर्याप्त न हो तो। के टिकट भेजकर एक नमूनेकी कापी मंगा लीजिये। ग्रन्थप्रकाशक समिति, नवनीत पुस्तकालय. पत्थरगली, काशी. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 96 97 98 99 100