Book Title: Jain Hiteshi 1914 Ank 12
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 80
________________ जैनहितैषी - बड़े उत्साह तथा परिश्रमसे सम्पादन करना शुरू किया है । अब तक इसके छह अंक निकल चुके हैं । आकार सरस्वती के जैसा है, एक दो चित्र भी रहते हैं । यद्यपि सेवकजी आर्यसमाजी हैं, परन्तु उनके विचारोंमें अन्य समाजी भाइयों जैसी कट्टरता नहीं है । वे अपने पत्र में सब प्रकारके अच्छे विचारोंको स्थान देते हैं । देशहितकी ओर उनका विशेष लक्ष्य है । छट्ठे अंकमें श्रीयुक्त बाबू अर्जुनलालजी सेठी बी. ए. का चित्र प्रकाशित किया गया है । इसके पहलेके अंकोंमें भी सेठीजीके विषयमें कई नोट निकल चुके हैं । सम्पादक महाशय जैनधर्मसम्बन्धी लेखोंको भी प्रकाशित करने की इच्छा रखते हैं । ‘मैनेजर, नवजीवन, सरस्वतीसदन, केम्प इन्दौर ' के पतेसे पाँच आनेके टिकट भेजनेसे पत्रका नमूना मिल सकता है । वार्षिक मूल्य तीन रुपया है । ७४८ नीचे लिखी पुस्तकें भी सादर स्वीकार की जाती हैं:१ सदाचारप्रश्नोत्तरी -बाबू नारायणप्रसाद अरोड़ा, कानपुर । २ नई रोशनीकी कुलदेवी - बी. पी. सिंघी, सिरोही ( राजपूताना ) ३ बालशिक्षा - दिगम्बर जैन आफिस, सूरत । ४ रिपोर्ट सं० १९६७-७० - श्वेताम्बर जैन कान्फरेंस, बम्बई । ५ रिपोर्ट ( सन् १९१३ - १४ ) - जैन बोर्डिंग स्कूल, रतलाम । ६ द्विवार्षिक रिपोर्ट ( सं० १९६८ - ६९ ) - जैनबालाश्रम, पालीताना | ७ रिपोर्ट ( १९१४ - ११ ) – स्याद्वादमहाविद्यालय, काशी । Jain Education International 1 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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