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जैनहितैषी
टी. वाशिंगटन, गारफील्ड, लिंकन, विलसन, विद्यासागर, राणा प्रताप, रानडे, मालवीय, गाँधी, गोखले, राजा विनयकृष्ण, भरत, दधीचि, शिबि, इन १५ देशी विदेशी महापुरुषोंके शिक्षाप्रद चरित संग्रह किये गये हैं । पुस्तककी भाषा अच्छी और सरस है । ऐसी पुस्तकोंका जितना अधिक प्रचार हो, उतना अच्छा । ___ भारतीय नीतिकथा-महाभारत कथाओंका भाण्डार है ।आदि पर्वसे उद्योग पर्वतक उसमें जितनी नीतिपूर्ण कथायें हैं, इस पुस्तकमें उन सबका सार आज कलके ढंगसे संकलन किया गया है। भीष्मकी पितृभक्ति और इन्द्रियदमन, अर्जुनकी एकाग्रता, जुआका भयंकर परिणाम, धर्मराजकी जीवदया आदि कथायें बड़ी अच्छी और शिक्षाप्रद हैं। इसके लेखक भी पूर्वोक्त पं० शिवसहायजी चतुर्वेदी हैं । मूल्य इसका बारह आने है। दोनों पुस्तकें उक्त कार्यालयसे मँगाना चाहिए।
वीराङ्गना अर्थात्, रूपनगरकी राजकन्या चञ्चलकुमारीका सच्चा ऐतिहासिक वृत्तान्त । रचयिता व प्रकाशक, ज्ञानचन्द्र, बटाला (गुरुदासपुर ) । मूल्य छह आने । राजपूतानेमें रूपनगर एक छोटासा राज्य था । बादशाह औरंगजेबने रूपनगरके राजाकी कन्या चञ्चलकुमारीसे शादी करनी चाही । राजा तो राजी हो गया, परन्तु चञ्चल राजी न हुई । उसने अपनी रक्षाके लिए महाराणा राजसिंहकी सेवामें पत्र भेजकर उन्हें उत्तजित किया और तब राजसिंहने बादशाहकी सेनासे लड़कर चंचलकुमारीको छुड़ा लिया और उसके साथ स्वयं विवाह कर लिया। इस ऐतिहासिक घटनाको
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