Book Title: Jain Hiteshi 1914 Ank 12
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 47
________________ समालोचनाकी आलोचना। ७१५ अनेक चीजें, सोने-चाँदीके अतिरिक्त अनेक खनिज पदार्थ, मकान, पशु इत्यादि धनमें शामिल नहीं हैं ? यदि हैं तो इनका भी हिसाब प्रकाशित करना था। सबसे प्रसिद्ध और प्रमाणित अँगरेज़ी अर्थशास्त्रज्ञ मिस्टर मारशल हैं । देखिए, उन्होंने धनकी व्याख्या इस प्रकार की है--" धनमें ऐसी चीजोंकी गिनती है जो हमारी आवश्यकताओंकी पूर्ति किसी न किसी प्रकार करती हो । अर्थात् धनमें वे ही चीजें शामिल करनी चाहिए जो हमारे काम की हैं। परन्तु साथ ही इसके यह भी याद रखना चाहिए कि जिन चीजोंकी हमको ज़रूरत है वे सभी धनमें गर्भित नहीं हैं। कुछ चीजें ऐसी भी हैं जिनकी हमें ज़रूरत तो है, परन्तु हमको उन चीजोंको धनमें शुमार न करना चाहिए । उदाहरणके लिए : मित्रोंका प्रेम ' ले लीजिए । इस प्रेमकी हमको ज़रूरत तो है परन्तु यह धन नहीं है । अच्छा तो अब हमको यह देखना चाहिए कि जरूरतकी चीजों से किन किन चीजोंको हम धन कह सकते हैं । धनमें एक तो सब तरहके द्रव्यरूप पदार्थ शामिल हैं, जैसे प्राकृतिक पदार्थ-ज़मीन, पानी, हवा, खेती, खान, मछलीके शिकार और कारखानोंकी पैदावार; मकान, मशीन और औजार; रहननामे दूसरी तरहकी दस्तावेजें; कम्पनियोंके शेर ( हिस्से ), एकाधिकार और तरह तरहके स्वत्त्व, कापी राइट इत्यादि । दूसरे, वे सब बाहरी चीजें शामिल हैं जो मनुष्यसे संबंध रखती हैं और जिनके द्वारा द्रव्य प्राप्त हो सकते हैं, जैसे दूसरों के साथ मनुष्यके व्यापारिक संबंध-उसकी विश्वासपात्रता इत्यादि। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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