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जैनहितैषी
कहा अंजना. मत घबरा तू
जाता हूँ मैं खोजन हेत ॥
(१०९) होंगे जहाँ वहाँसे उनको,
ले आऊँगा तेरे पास। चिन्ता न कर ज़रा भी मनमें,
प्रभुपर पूरा रख विश्वास ॥ .
(११०) यों कहकर प्रतिसूरज नृपने,
. आदितपुरको किया प्रयाण । केतुमती प्रहाद भूपको,
समाचार जा दिये महान ॥
(१११) सती अंजना मेरे घर है,
___हुआ पुत्र उसके शुचिगात । पर वह पतिके दर्शनको है,
अकुलाती रहती दिनरात ॥
(११२) दीनवदन राजा रानाने,
कहा, आपका है उपकार । भ्रममें पड़ हमने ही उसका,
किया बड़ा ही है अपकार ॥
वह जीती है, पुत्र हुआ है, .
अच्छे हैं सब, अच्छा है।
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