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मिली अंजना निज स्वामीसे - सुखी हुआ सारा परिवार ॥
(१२४) .. बेटा पुत्रवधू पोतेको,
___ पाकर केतुमती-प्रहाद । कविकी कलम न कह सकती है,
कैसा हुआ उन्हें आहाद ॥
(१२५) प्रतिसूरज त्यों महेन्द्र नृपके,
. आनँदका कुछ रहा न पार । सती अंजनाके सतीत्वको, ....... मान गया सारा संसार ॥
(१२६) आनंदमंगल छाया सबमें,
____ हुआ प्रशंसित शीलसिंगार। सती अंजनाका अति सुंदर, छाया जगमें जयजयकार ॥
-भँवरलाल सेठी।
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