Book Title: Jain Dharma Sar Author(s): Sarva Seva Sangh Prakashan Rajghat Varanasi Publisher: Sarva Seva Sangh PrakashanPage 11
________________ २२ १४ २३ क्रम विषय गाथांक कम विषय गाथांक ६. विनय तप २१६ २. सागार (श्रावक) सूत्र २४८ ७. वयावृत्य तप (सेवा योग) २१९ ३. अनगार सूत्र (संन्यास योग) २४९ ८. स्वाध्याय तप २२२ ४. पूजा-भक्ति सूत्र ९. ध्यान-समाधि सूत्र २२४ ५. गुरु उपासना २६० १०. सल्लेखना मरण अधिकार ६. दया सूत्र ७. दान सूत्र (सातत्य योग) ८. यज्ञ सूत्र १. आदर्श मरण ९. उत्तम क्षमा (अक्रोध) २६७ २. देह त्याग ३. अन्त मति सो गति १०. उत्तम मार्दव (अमानित्व) २७० ११. उत्तम आर्जव (सरलता) २७३ ४. सातत्य योग २४० १२. उत्तम शौच (सन्तोष) २७५ ११. धर्म अधिकार १३. उत्तम त्याग २७९ (मोक्ष संन्यास योग) १४. उत्तम आकिंचन्य १. धर्म सूत्र २४२ क (कस्य स्विद्धनम्) २८३ له اي اعاله ای २६२ WWW क्रम विषय गाांक क्रम विषय गाथांक २. निश्चय ज्ञान २. मोक्षमार्ग में चारित्र (कर्म) (अध्यात्म शासन) का स्थान १४० ३. जगत् मिथ्यात्व दर्शन ८४ ३. चारित्र (कर्म) में ४. व्यवहार जान (शास्त्र ज्ञान) ८६ सम्यक्त्व व ज्ञान का स्थान १४२ ५. निश्चय व्यवहार ज्ञान समन्वय८९ ४. कर्मयोग रहस्य ६. ज्ञानाभिमान निरसन ५. अप्रमाद सूत्र १५१ ७. स्वानुभव ज्ञान ९३ ६. शल्योद्धार १५९ ८. अध्यात्मज्ञान के लिंग ८. आत्म-संयम अधिकार ९. अध्यात्म ज्ञान चिन्तनिका ९८ (विकर्म योग) (क) अनित्य व अशरण संसार १०१ १. संयम सूत्र १६२ (ख) आत्माका एकत्व व अनन्यत्व१०५ २. अनगार (साधु) व्रत सूत्र १६३ (ग) देह-दोष-दर्शन १०८ ३. अहिंसा सूत्र (घ) आस्रव, संवर, निर्जरा भावना ४. सत्य सूत्र १६८ (घ) लोक स्वरूप-चिन्तन ११० ५. अस्तेय (अचौर्य) सूत्र १७० (क) बोधि दुर्लमता ११२ ६. ब्रह्मचर्य सूत्र १७३ (च) धर्म ही सुख ७. परिग्रह-त्याग सूत्र १७६ ६. निश्चय चारित्र अधिकार ८. सागार (श्रावक)बत सूत्र १७९ (बुद्धि योग) ९, सामायिक सूत्र १८७ १. निश्चय चारित्र (समत्व) ११६ १०. समिति सूत्र (यतना सूत्र) १९१ २. महारोग रागद्वेष ११. गप्ति (आत्म गोपन) सूत्र १९८ ३. रागद्वेष का प्रतिकार १२१ १२. मनो मौन २०० ४. कषाय-निग्रह १३. युक्ताहार विहार __२०२ ५. इन्द्रिय-जय १२५ ९. तप व ध्यान अधिकार ६. समता सूत्र (स्थितप्रज्ञता) १२७ ७. वैराग्य सूत्र (संन्यास-योग) १३० (राज योग) १. तपोऽग्नि सूत्र २०३ ८. परीषह-जय (तितिक्षा-सूत्र) १३५ २. अनशन आदि तप २०८ ७. व्यवहार चारित्र अधिकार ३. विविक्त-देश-सेवित्व २१० (कर्मयोग) ४, कायक्लेश तप (हठयोग) २१२ १. व्यवहार चारित्र निर्देश १३९ ५. प्रायश्चित्त तप द्वितीय खण्ड क्रम विषय गाथांक क्रम विषय गाथांक १२. द्रव्याधिकार २. जीव अजीव तत्त्व ३१३ (विश्वदर्शन योग) ३. आस्रव तत्त्व (क्रियमाणकर्म)३१६ ४. संवर तत्त्व (कर्म निरोध) ३२० १. लोक सूत्र २. जीव द्रव्य (आत्मा) ५. पुण्य पाप तत्त्व (दो बेड़ियाँ) ३२४ ३. पुद्गल द्रव्य (तन्मात्रा व ६. बन्ध तत्त्व (संचित कर्म) ३२९ ____ महाभूत) ७. निर्जरा तत्त्व (कर्म-संहार) ३३२ ८. मोक्ष तत्त्व (स्वतंत्रता) ३३६ ४. आकाश द्रव्य ९. परमात्म तत्व ३४२ ५. धर्म व अधर्म द्रव्य ६. काल द्रव्य ३०७ १४. सृष्टि-व्यवस्था १३. तत्वार्थ अधिकार १. स्वभाव कारणवाद १. तत्त्व निर्देश ३०९ (सत्कार्यवाद) rmmer २१३ Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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