Book Title: Jain Dharma Sar Author(s): Sarva Seva Sangh Prakashan Rajghat Varanasi Publisher: Sarva Seva Sangh Prakashan View full book textPage 9
________________ गाथा गणना सूची आम्नाय दि० ६६० ई०१००० ई० श०५ वि० श०५ समय ई० वि० श०५ ई० १३२० ई० श०२ भाषा सं० सं० सं० रचयिता आ० अमितगति हरिभद्र सूरि आ० अकलंक संग्रह. देवद्धि गणी आ० कुन्दकुन्द संग्रह देवद्धि गणी आ० मल्लिषण आ० समन्तभद्र संकेत-श्वे० = श्वेताम्बर, दि०=दिगम्बर, सा० सामान्य अधिकार गाथाओं की गणना श्वे, दि. सा. कुल १ मिथ्यात्व अधि० (अविद्या योग) ११ ५ २ १८ २ रत्नत्रय अधि० (विवेक योग) ३ समन्वय अधि० (समन्वययोग) ४ सम्यग्दर्शन अधि० (जागृति योग) ५ सम्यग्ज्ञान अधि० (सांख्य योग) ६ निश्चय चारित्र अधि० (बुद्धि योग) १२ ११ . २३ ७ व्यवहार चारित्र अघि० (कर्म योग) ८ संयम अधि० (विकर्म योग) ९ तप अधि० (राज योग) १० सल्लेखना मरण अधि० (सातत्य योग) ११ धर्म अधि० (मोक्ष संन्यास योग) २० २५ ४५ १२ द्रव्य अघि० (विश्वदर्शन योग) ४ १९ २३ १३ तत्वार्थ अधि० १७ २०३७ १४ सृष्टि व्यवस्था १५ अनेकान्त अघि० (द्वैताद्वैत) १६ एकान्त व नय अधि० (पक्षपात निरसन) १२ ८ २० १७ स्याद्वाद अधि० (सर्वधर्म समभाव) १८ आम्नाय अधि० २०७ २११ ११ ४२९ ग्रन्थ का नाम सामायिक पाठ सावय पण्णत्ति सिद्धि विनिश्चय सूत्र कृतांग सूत्र पाहुड़ स्थानांग स्याद्वादमंजरी स्वयंभू स्तोत्र संकेत सामा पा० Inabot सि० वि० ७६ सू० ० ७७ सू० पा० ७८ स्था० ७९ स्या० मं० ८० स्वयं स्तो० क्रम Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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