Book Title: Jain Dharma Sar
Author(s): Sarva Seva Sangh Prakashan Rajghat Varanasi
Publisher: Sarva Seva Sangh Prakashan
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सन्दर्भ-संकेत
भाषा सं० सं०
समय ई० ९९३ ई०१६३८
आम्नाय दि० श्वे०
संकेत - ई०-ईस्वी सन् २०=शताब्दी, ई० पू०-ईस्वी पूर्व । वि० श=विक्रमशती क्रम संकेत ग्रन्थ का नाम
रचयिता अ० गधा० अमितगति धावकाचार आ० अमितगति अध्या० उप० अध्यात्म उपनिषद् उपा० यशोविजय
अध्या० सा० अध्यात्म-सार ४ अनगार धर्म
अनगार धर्मामृत पं० आशाधर आ० अनु० आत्मानुशासन
आ० गुणभद्र आचा आचारांग
संग्रहकर्ता देवद्धिगणी आतु०प्र०
आतुर प्रत्याख्यान प्रकीर्णक अज्ञात
८
९ १०
आ० परी आ० मी० आवश्यक सूत्र
आप्त परीक्षा आप्त मीमांसा आवश्यक सूत्र इष्टोपदेश ईशावास्योपनिषद् उत्तराध्ययन
आ० विद्यानन्दि आ० समन्तभद्र संग्रह. देवद्धिगणी आ० पूज्यपाद (वेदान्त का आगम) संग्रह ग्रन्थ
ई० ८५० वि० श०५ वि० श०५
के पश्चात् सं० ई० ८०० सं० ई० श०२ प्रा० वि० श०५ सं० ई० श०५ सं० ई०पू० ३००० वेद प्रा० वि० पू० २००-३०० श्वे.
ई० उप०
१३
उत्तरा०
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