Book Title: Jain Dharma Sar
Author(s): Sarva Seva Sangh Prakashan Rajghat Varanasi
Publisher: Sarva Seva Sangh Prakashan

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Page 8
________________ Jain Education International रचयिता भाषा समय आम्नाय क्रम सकेत उपा० १४ उपा० दश १५ औपपा० सूत्र १६ कपा० संग्रह देवद्धिगणी ग्रन्थ का नाम उपाध्याय उपासक दशांग औपपातिक सूत्र कषाय पाहुडकी जयधवला टीका कार्तिकेयानुप्रेक्षा प्रा० वि० श० ५ प्रा० , श्वे० आ० वीरसेन . कुमार कार्तिकेय प्रा० ई० ८२५ प्रा० ई.१०२५ दि. गाथा १७ का० अ० गा० १९ गो०० २० गो० जी० २१ गो० जी० जी०प्र० आ० नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती प्रा० ई० श०११पूर्वार्ध दि. आ० केशववर्णी सं० ई०१३६० २२ ज्ञा० २३ ज्ञा० सा० २४ चा०प० २५ ज०प० २६ त अनु० २७ त० सू० २८ ति०५० गोमट्टसार कर्मकाण्ड गोमट्टसार जीव काण्ड गोमट्टसार की। जीवप्रबोधिनी टीका ज्ञानार्णव. ज्ञानसार .. चारित्र पाहुड़ जंबुद्दीव पण्णति तत्त्वानुशासन तत्त्वार्थ-सूत्र तिल्लोय पण्णाति आ० शुभचन्द्र उपा० यशोविजय आ० कुन्दकुन्द आ० पद्मनन्दी आ० नागसेन आ० उमास्वामी आ० यतिवृषभ सं० सं० प्रा० प्रा० सं० सं० प्रा० ई०१०४० ई०१६३८ ई० १५० ई०१०२० ई० २०१२ ई० २०० ई० ५८० For Private & Personal use only क्रम संकेत रचयिता भाषा समय आम्नाय २९ त्रि० सा० २९ द० पा० दश वे ३१ दशाश्रुत दि० आ० नेमिचन्द्र आ० कुन्दकुन्द शय्यम्भव सूरि भद्रबाहू प्रथम प्रा० ई० श०११ पूर्वार्घ दि० प्रा० ई० १५० दि. प्रा० वि० पू० ४०० श्वे० " वि० पू० ३०० दे० ३२ ग्रन्थ का नाम तुलना त्रिलोक सार दर्शन पाहुड़ दश वैकालिक दशाश्रुत स्कन्ध दिगम्बर आम्नाय देखो (दृष्टव्य) देवेन्द्र स्तव प्रकीर्णक द्रव्य संग्रह धवला टीका पुस्तक १ नयचक्र बृहद् नन्दि सूत्र नवतत्त्व प्रकरण नियम सार पद्म पुराण परमात्म प्रकाश पवयणसारोद्धार पंचास्तिकाय प्रा० वि०श०५के पश्चात् श्वे० प्रा० ई० श०११ पूर्वार्ध दि. सं० ई० ८२५ दि० प्रा० प्रा० वि०पू० ५०० देवेन्द्र स्तव ३३ द्र०सं० ३४ घ०१ ३५ न०प० ३६ नन्दि सूत्र ३७ नवतत्त्व प्र० ३८ नि० सा० ३९ पद्म पु० ४० प०प्र० ४१ पवयण सा० ४२ पं०का श्वे० अज्ञात आ० नेमिचन्द्र आ. वीरसेन आ० देवसेन देव वाचक संग्रह ग्रन्थ आ० कुन्दकुन्द आ० रविषेण योगेन्दु देव नेमिचन्द्र सूरि आ० कुन्दकुन्द ई० १५० प्रा० ई० श०६ प्रा० ई० श० १३ प्रा० ई० १५० वे. www.jainelibrary.org

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