________________
30
इंदीवर
इंदीवर ( इन्दीवर) नीलकमल
इन्दि (न्दी) वरम्। क्ली० । नीलपद्मे ।
इक्कड
भ० २१/२१ प० १/४४/२
इक्कड (इक्कट) इकडी
इक्कटः। पुं। तृणविशेषे। तत्पर्याय :- बहुमूल : (त्रि) कोशाङ्गः, इत्कटः, (हारीत) बहुमूलक : (भा)
(वैद्यक शब्द सिन्धु० पृ० १२४ ) इक्कट (पुं) (सं) एक तरह का सरकंडा, जिसकी चटाई बनती है। (बृहत् हिन्दी कोश) इत्कटः । पुं । सूक्ष्मपत्रिका दीर्घलोहितयष्टिका काण्डविशेषरूपा ' इकडी ' इति लोके । ( अरुणदत्तः, अष्टांग हृदय सूत्र १५ / २४ )
(आयुर्वेदीय शब्द कोश पृ० १८० )
इक्खु (इक्षु) ख
इक्षु के पर्यायवाची नाम
(वैद्यकशब्द सिन्धु पृ० १२५ )
इक्खु
Jain Education International
भ० २१/१८
प० १/४१/१
इक्षुः कर्कोटको वंशः, कान्तारो वेणुनिस्वनः ।। १०९ ॥ कर्कोटक, वंश, कान्तार और वेणुनिस्वन ये इक्षु के पर्याय
( धन्व० नि० ४ / १०९ पृ० २१० )
हैं। अन्य भाषाओं में नाम
हि० - ईख, गन्ना, गांडा, पोंडा, ऊषा बं०- आक, कुशिर । म० - ऊष । गु० - शेरडी नूं मूल। क०- कबु, कब्बिनमेरु । ते०चिरकु । फा०-नेशकर । अ०- कस्नुसशक्कर । अंo - Sugar Cane (सुगर के न ) । ले०- Saccharum Officinarium (सेक्कॅरम् ऑफिसिनेरम्) । Fam. Gramineac (ग्रॅमिनी ) ।
एय
"ईव
For Private & Personal Use Only
जैन आगम : वनस्पति कोश
पत्र
'ईश्खा कटी हुई
मूल
उत्पत्ति स्थान - भारतवर्ष के समस्त उष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों में ईख की लंबे परिमाण में खेती की जाती है । जाडे के अंत में तथा ग्रीष्म में समूचा गन्ना बाजारों में बिकता है।
विवरण - यह शरजाति का क्षुप है। जिसके कांड (डंठल) में मीठा रस भरा रहता है। इसका काण्ड १८ मीटर से ३६ मीटर (६ से १२ फुट) ऊंचा होता है। जिस पर ६-६ या ७-७ अंगुल पर गांठें होती है और सिरे पर लंबी ९० से० मी० से १२० से० मी० या ३ से ४ फुट लंबी ५ से० मी० से ७५ से० मी० या २ से ३ इंच चौड़ी पत्तियां होती हैं, जिनको गेंडा कहते हैं । काण्ड पर भी सूखी कांड संसक्त पत्तियां होती हैं, जिनको पताई कहते हैं। यह जलाने पर तथा छप्पर एवं चटाई बनाने के काम आती है। पुष्पों की चूडा सरपत की तरह पक्षतुल्य होती है। अरब की फसल तैयार होने में प्राय: १२ महीना लग जाता है। इसके काण्ड को कोल्हू में दबाकर रस निकाला जाता है, जिसे पकाकर गुड, खांड और देशी शक्कर बनाई जाती है।
(वनौषधि निदर्शिका पृ० ४८, ४९ )
www.jainelibrary.org