Book Title: Jain Agam Vanaspati kosha
Author(s): Shreechandmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 315
________________ जैन आगम वनस्पति कोश पर्याय हैं। (धन्च०नि०५ / १२६ पृ०२५६) अन्य भाषाओं में नाम हि० - चमेली, चम्बेली, चंबेली । बं० - चामिल, चमेली, जाति । गु० - चंबेली म० - चमेली । ता०-पिचि । ० - जाति । क० - जाजि, स्वर्णजाति । गौ० - चमेली, मालती । फा०-यासमन। अ०- - ( यासमीन, यासमून अं०-Spanish Jasmine (स्पनिश जस्मिन) ले०- Jasmine grandiflorum (जस्मिन् ग्रान्डी फ्लोरम) । Fam. Oleaceae (ओलिएसी) । उत्पत्ति स्थान- यह भारत में सभी स्थानों पर बागों में लगाया मिलता है। इसका आदि स्थान उत्तर पश्चिम हिमालय मानते हैं। उत्तर प्रदेश में इसकी विस्तृत पैमाने पर खेती की जाती है। विवरण- इसके गुल्म बड़े आरोही तथा फैलने वाले होते हैं। शाखाएं धारीदार होती हैं। पत्ते विपरीत संयुक्त तथा २ से ५ इंच लम्बे होते हैं। पत्रक संख्या में ७ से ११, अंतिम अग्र का पत्रक बड़ा तथा बगल के पत्रक बिनाल तथा अग्र के जोड़े का आधार मिला हुआ रहता है। पुष्प सुगंधित सफेद, बाहर से कुछ गुलाबी तथा १.५ इंच तक व्यास में रहते हैं। (भाव०नि० पुष्पवर्ग० पृ०४६१, ४६२ ) सुय सुय (शुक) बालतृण भ०२१/१६ ०१ / ४२/१ विमर्श - प्रस्तुत प्रकरण में सुय शब्द तृणवर्ग के अन्तर्गत है । इसलिए शुक शब्द का तृणवाचक अर्थ ग्रहण किया जा रहा है। शुक के पर्यायवाची नाम अथ बालतृणे शष्पं शुकं शालिकमङ्गुलम् । । ३७७ ।। शष्प, शुक, शालिक, अंगुल ये बालतृण के पर्यायवाची नाम हैं। ( निघंटुशेष श्लोक ३७७ पृ०२०२) .... सुय सुय (शुक) पटुतृण भ०२१/१६ ०१ / ४२/१ विमर्श - प्रस्तुत प्रकरण में सुय शब्द तृण वर्ग के Jain Education International अन्तर्गत है इसलिए तृणवाचक दूसरा अर्थ ग्रहण किया जा रहा है। पटुतृणशुको ज्ञेयः पटुतृण को शुक कहते हैं । पटुतृण के पर्यायवाची नाम 295 (राज० नि० ८ /७ पृ०२३२) लवणतृणं लोणतृणं, तृणाम्लं पटुतृणक मम्लकाण्डश्च । पटुतृणक क्षाराम्लं कषायस्तन्यमश्ववृद्धि करम् ।।१३८ ।। लवणतृण, लोणतॄण, तृणाम्ल, पटुतृणक तथा अम्लकाण्ड ये सब पटुतृण के नाम 1 पटुतृण क्षार, अम्ल तथा कषायरस वाला, दुग्धवर्धक एवं घोड़ों को बढाने वाला है। (राज० नि०८ / १३८ पृ०२५६ ) सुवण्णजूहिया सुवण्णजूहिया (सुवर्णयूथिका) पीली जूही रा०२८ जीवा०३ / २८१ प०१७ / १२७ विमर्श - प्रस्तुत प्रकरण में पीले रंग की उपमा के लिए सुवण्णजूहिया शब्द का प्रयोग हुआ है। इसके पीले फूल होते हैं। स्वर्णयूथिका के पर्यायवाची For Private & Personal Use Only युवती पीतयूथिका । । १४७५ ।। पुष्पगंधा चारुमोदा, हारिणी स्वर्णयूथिका ।। हेमपुष्पी, पीतपुष्पी, त्वपरा शंखपुष्पिका । ।१४७६ ।। युवती, पीतयूथिका, पुष्पगंधा, चारुमोदा, हारिणी, स्वर्णयूथिका, हेमपुष्पी, पीतपुष्पी ये स्वर्णयूथिका के पर्याय हैं। (कैयदेव०नि० ओषधिवर्ग० पृ०६१६) अन्य भाषाओं में नाम हि० - पीतजूही, सोनाजूही । म० - पिंवलीजूई, स्वर्ण जूई, पीली जूई । बं० - स्वर्णजूई, पिंवली जूई, पीली जूई गु० - पीलीजूई, पिंवली जूई स्वर्णजूई क०- - यरडुमोल्ले । ते०-जुई पुष्पालु | अं० -Pearl Jasmine (पर्ल जेस्मीन) Golden or Itallin jasmine (गोल्डन या इटालियन जेस्मिन) ले०-Gasminum Humile linn (जेस्मिनम हुमीले लिन०) । उत्पत्ति स्थान - प्रायः पहाड़ी प्रान्तों में मद्रास www.jainelibrary.org

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