Book Title: Jain Agam Vanaspati kosha
Author(s): Shreechandmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 358
________________ 338 जैन आगम : वनस्पति कोश हिन्दी शब्द प्राकृत शब्द पृष्ठ हिन्दी शब्द प्राकृत शब्द पृष्ठ २५८ २०० २६२ वच १३६ २४८ रौहिष घास तण १४५ शकरकंद वज्जकंद रोहीतक (रोहेडा) लोहि २५३ शणपुष्पी सणकुसुम २७२ रोहीतक (सफेद) सप्फाय, सफा २७४, २७५ शतावरी सतरि, सयरि २७२, २७६ लज्जवंती फुसिया शाल असकण्णी अस्सकण्णी २१, २५ लवंगलता पउमलता १७२ शतपोरक सतपोरग २७२ लहसुन कंद लसणकंद, ल्हसणकंद २५१. शालिधान्य सालि २८५ २५४ शालिधान्य भेद नागमाल १६७ लाल एरण्ड वग्घ २५६ शालिषाष्टिक बीयरुह २११ लाल कचनार कुद्दाल ७१ शाल्मली मोयई २४३ लाल बोरू इक्कड, एक्कड ३०, ३६ शिल्पिकातृण सिप्पिया २८८ लिसोडा सेलु ३०२ शिवलिंगी चंडी १०४ लोध लोद्ध, सस २५१, २८० शूकडितृण संकुलितण लौंग लवंग, लवंगरुक्ख २४६, २५० शैवाल अवय वंशलोचन वंसी २५५ श्वेत पद्म महापोंडरीय २२७ पउय १७२ सम्हालु (श्वेत पुष्प) सिंदुवार, सिंदुवारगुम्म २८७, वनमूंग मुग्गपाणि २३६ सम्हालू (नील पुष्प) णिग्गुंडी वनरोहेडा २४७ संभालू के बीज रेणुया वरगद वट २८७ सत्यानाशी सहिरणिया ૨૬૭ वरट्टिका कुसुभबीय ८६ सत्यानाशी की जड़ चोय ११० वरना तमाल सन सण २७१ वांस वंस, वेणु २५४, २६६ सन जाति का पौधा पेलुगा वांस की गांठ पोरग १६७ सरकंडा कंडा वांस के चावल वेलुया २६६ सरसों सरिसव २७६ वायविडंग उंबभरिय उंबेभरिया ३१, ३२ सर्पकंकालिका लता फुसिया १६६ वाराही कंद किट्टि, किट्ठिया, किट्ठीया, वराहमंस सलइ अल्लीपल्ली, कुरय, सल्लइ ७१, ७२, ३१६ २०, ८३. २७६ वासंती महाजाइ, वासंति, वासंतिलया। सहिजन मूलापण्ण २४० २२६, २६३ सहिजन (पीत पुष्प) बीयग कुसुम वासक. वास २६३ सहिजन (लाल पुष्प) रिट्ठग २४७ विजयसार असण, पियय सहिजन (सफेद पुष्प) बीयय, हरितग २११, ३०६ विजयसार के फूल असण कुसुम सांखू (शाल) साल २८५ वृषभकंद वसभमंस ३१७ सांवाधान्य सामग २८३ २६६ सिंघोड़ा संघाड शंखपुष्पी कंबू, संखमाला ४२, २६६ सितदर्भ कोंत्तिय,होत्तिय ८६. ३१० शंखिनी चोरा ११२ सिरस सिरिस २८६ १४६ १६५ ४० २१० २३ व्रीहि वीहि २७० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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