Book Title: Jain Agam Vanaspati kosha
Author(s): Shreechandmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 321
________________ जैन आगम : वनस्पति कोश 301 . . सादा, करवीगनीर। अं0-Sweet Scented oleander सेयबंधुजीव शब्द प्रयुक्त हुआ है। (स्वीटसेंटड़े औलियंडर)। ले०-Neriumoleander निरियम देखें 'किण्हबंधुजीव' शब्द । ओलियंडर)। यद्यपि राजनिघंटु ने इसके कृष्ण, श्वेत, पीत तथा विवरण-श्वेत कनेर के ४ प्रकार हैं-(१) श्वेत रक्त चार भेद लिखे हैं तथापि केवल श्वेत भेद पाया जाता पुष्पयुक्त (२) द्विगुण श्वेतपुष्पयुक्त (३) श्वेत गुलाबी है। (भाव०नि० पुष्पवर्ग०पृ०५०६) पुष्पयुक्त (४) द्विगुण श्वेत गुलाबी पुष्पयुक्त। संस्कृत में कनेर के कई नामों में अश्वघ्न, हयमार सेयमाल तुरंगारि नाम से यह नहीं समझना चाहिए कि कनेर केवल सेयमाल (श्वेत माल) श्वेत पुष्प वाली मालती। घोड़ों का ही काल है, प्रत्युत यह सबके लिए एक घातक जीवा० ३/५८२ जं०२/८ विष है। यहां अश्व, तुरंग आदि शब्दों को उपलक्षणात्मक विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में सेयमाल शब्द श्वेतरंग समझना चाहिए । श्वेत कनेर लालकनेर की अपेक्षा अधिक घातक होता है। की उपमा के लिए प्रयुक्त हुआ है। मालती के पुष्प श्वेत होते हैं। . लाल दोनों कनेरों को मूल में नेरिओडोरीन नामक ऐसे दो पदार्थ पाये जाते हैं जो हृदय माल-पुं० मालती। (शालिग्रामौषधशब्दसागर पृ० १३८) के लिए अत्यन्त घातक होते हैं। वे उसकी गति को रोक देते हैं या कम कर देते हैं। इसके अतिरिक्त इनमें मालती के फूल सफेद रंग के होते हैं। (धन्व०वनौ० विशे० भाग ५ पृ० ३५१) ग्लुकोसाइड रोजोगिनिन एक सुगंधित उडनशील तैल तथा डिजिटैलिस के समान एक नेरिन नामक रवेदार पदार्थ टैनिक एसिड और मोम होता है। इसमें नेरिन यह सेयासोग हृदयोत्तेजक है ।यदि कनेर में यह तत्त्व न होता तो यह सेयासोग (श्वेताशोक) श्वेतपुष्प वाला अशोक उष्ण वीर्य न होकर सद्यमारक उग्रविष हो जाता। मूल सेयासोय की छाल अमोघ मूत्रकारक है। लाल या पीला कनेर की रा० ०२६ अपेक्षा श्वेत कनेर की जड़े अत्यन्त विषैली होती हैं। सेयासोय (श्वेताशोक) श्वेतपुष्पवाला अशोक (धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग २ पृ० ६१, ६२) रा०२६ प०१७/१२८ विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में सफेद रंग की उपमा के सेय बंधुजीव लिए सेयासोग और सेयासोय शब्दों का प्रयोग हुआ है। सेय बंधुजीव (श्वेत बन्धुजीव) सफेदफूल वाली अशोक के कुछ फूल श्वेत होते हैं। दुपहरिया रा०२८ जीवा०३/२८२ प०१७/१२८ अशोक के पत्तेआम के समान होते हैं। फूल सफेद, असितसित पीत लोहित पुष्प विशेषाच्चतुर्विधो कुछेक साधारण पीले रंग का होता है। बन्धूकः।। (शा०नि० पुष्प वर्ग पृ०३८४) यह (बन्धूक) कृष्ण, श्वेत, पीत तथा लोहित वर्ण पुष्प से चार प्रकार का होता है। सेरियय (राज०नि० वर्ग०१०/११८ पृ०३२०) सेरियय (सैरीयक सैरेयक) श्वेतपुष्प वाली इसके फूल सफेद, सिन्दूरी और लाल रंग के होते कटसरैया। (वनौषधि चंद्रोदय भाग ३ पृ०१०४) भ०२२/५ प०१/३८/१ प्रस्तुत प्रकरण में सफेद रंग की उपमा के लिए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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