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जैन आगम : वनस्पति कोश
श
सेण्हय सण्हय (श्लक्ष्णक) निर्मली। भ०२२/२
विमर्श-प्रस्तुत शब्द के पाठान्तर में सण्हय शब्द है जिसकी संस्कृत छाया श्लक्ष्णक बनती है। प्राकृत में सेण्हय की भी श्लक्ष्णक छाया बना सकते हैं। फिर भी सण्हय शब्द ग्रहण कर रहे हैं। सण्हय (श्लक्ष्णक) निर्मली श्लक्ष्णक के पर्यायवाची नाम
कतकं छेदनीयञ्च कतं कतफलं मतम् ।। अम्बुप्रसादनफलं श्लक्ष्णं नेत्रविकारजित् ।।१५२।
कतक, छेदनीय, कत, कतफलं, अम्बुप्रसादनफल, श्लक्ष्ण और नेत्रविकारजित ये कतक के पर्याय हैं।
(धन्व०नि०३/१५२ पृ०१७७)
कोट्टई। ते०-कतकमुले०-Strychnos Potatorumlinn (स्ट्रिकनोस पोटेटोरम) Fam. Loganiaceae (लोगेनिएसी)।
उत्पत्ति स्थान-इसका वृक्ष सोन नदी के किनारे मध्यभारत तथा दक्षिण की ओर पाया जाता है।
विवरण-यह ४० फीट तक ऊंचा होता है। पत्ते प्रायः २.५ इंच लम्बे एक इंच चौड़े अंडाकार होते हैं । फूल सफेद रंग के आते हैं उनसे सुगंध आती है। फल गोल, पकने पर काले रंग के होते हैं। इनमें गोल कुछ चिपटे बीज होते हैं, जो चिपड़े होते हैं।
(भाव०नि० आम्रादिफलवर्ग०पृ०५८४)
सेण्हा
सेण्हा (श्लक्ष्णक) निर्मली
देखें सेण्हय शब्द।
प०१/३५/३
SANSAR
NSAR
सेतासोय सेतासोय (श्वेताशोक) श्वेत अशोक जीवा०३/२८२
विमर्श-श्वेत रंग की उपमा के लिए सेतासोय शब्द का प्रस्तुत प्रकरण में प्रयोग हुआ है।
देखें सेयासोग शब्द।
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सेयकणवीर सेयकणवीर (श्वेतकणवीर) श्वेतपुष्प वाली कनेर ।
रा०२६ जी०३/१८२ प०१७/१२८ श्वेत कणवीर के पर्यायवाची नाम
करवीरो मीनाख्यः, प्रतिहासोऽश्ववरोहक://१५३६ ।। शतकुम्भः श्वेतपुष्पः, शतप्राशोऽब्जबीजभृत् कणवीरोऽश्वहाऽश्वघ्नो, हयमारोऽश्वमारक://१५४०।।
करवीर, मीनाख्य, प्रतिहास, अश्वरोहक, शतकुम्भ, श्वेतपुष्प, शतप्राश, अब्जबीजभृत, कणवीर, अश्वहा, अश्वघ्न, हयमार, और अश्वमारक ये करवीर (श्वेत) के पर्याय हैं।
(कैयदेव० नि० औषधिवर्ग पृ०६३१) अन्य भाषाओं में नाम
हि०-सफेद कनेर या कनैल। म०--पांदरी कण्हेर, धावेकनेरी। गु०-धोलाकनेर, करेण । बं०-करवी
फल
बीज
मुपकार
अन्य भाषाओं में नाम___ हि०-निर्मली। बं०-निर्मली। म०-निर्मली। गु०-निर्मली, कतकडो। कo-चिल्लिकायि । ता०-तेतन,
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