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Vent (पोन्गेमिआ ग्लॅब्रा वेण्ट) Fam. Leguminosae ( लेग्युमिनोसी) ।
पत्र
शाख ।
फल
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पुष्प
फली
उत्पत्ति स्थान - यह प्रायः सब प्रान्तों में पाया जाता है। सड़कों के किनारे, बगीचों में एवं नदी तथा समुद्री किनारों पर यह बहुत पाया जाता है।
विवरण- इसका वृक्ष साधारण वृक्षों की ऊंचाई का होता है और सदा हराभरा रहता है। इसकी छाया ठंडी और प्रिय होती है। शाखायें लटकी हुई होती हैं। पत्ते पक्षवत्, ८ से १४ इंच लंबे एवं पत्रदंड आधार पर फूला हुआ होता है । पत्रक हरे रंग के चमकीले, चिकने, संख्या में ५ से ७ आयताकार या लट्वाकार, नुकले २ से ५ इंच लंबे एवं छोटेवृन्त से युक्त होते हैं। फूल जरा गुलाबी और आसमानी छाया लिये हुए श्वेतवर्ण के गुच्छों में आते हैं। एक दलपत्र बड़ा होता है जो अन्य चार दलपत्रों को ढककर रखता है। सूखने के पहले ही असंख्य संख्या में पुष्प जमीन पर गिरकर भूमि को आच्छादित कर देते हैं । फलियां चिकनी, चिपटी, कठोर, एक बीजयुक्त, गहरे धूसर रंग की तथा १ से २ इंच लंबी, सेम के आकार की होती है। बीज चिपटे कृष्णाभ रक्तवर्ण के कुछ सिकुड़नदार गोलाई लिए आयताकार एवं तैल युक्त
होते हैं।
करकर (
जैन आगम वनस्पति कोश
(भाव०नि० गुडूच्यादिवर्ग० पृ० ३५० ३५१ )
करकर
) करकरा, अकरकरा प० १/४२/२ विमर्श - करकर शब्द हिन्दी भाषा का है।
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अन्य भाषाओं में नाम
सं०- आकारकरभ, अकल्लक, आकरकरा तीक्ष्णमूल, लक्ष्णकीलकादि । हि० - अकरकरा, करकरा, अकलकरहा म० - आक्कलकाला, अक्कलकारा। गु० - अकलकरो | ता०- अक्किरकारम् । ले०Anacyclus Pyrethrum (एनासाइक्लर्स पाइरीश्रम) Pyre - thrum Radix (पाइरीश्रम रैडीक्स) । अंo - Pellitory root (पेलीटरी रूट ) ।
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उत्पत्ति स्थान- उत्तरी अफ्रीका, अरब, अल्जीरिया लीवाण्ट आदि प्रदेशों में होता है। तथा बहुत ही कम प्रमाण में बंगाल के कुछ हिस्सों में, आबू के पर्वतीय प्रदेशों में तथा गुजरात, महाराष्ट्र आदि भारतवर्ष के कतिपय
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