Book Title: Jain Agam Vanaspati kosha
Author(s): Shreechandmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 295
________________ जैन आगम : वनस्पति कोश 275 सप्पास बन सकता है। संस्कृत के मुक्त शब्द में त का धूप्य, पण्यविलासिनी, सन्धिनाल तथा पाणिरुह ये सब लोप और क को द्वित्व कर प्राकृत में मुक्क रूप बनता नख ('नखी' सुगंधद्रव्य) के अट्ठारह नाम हैं। है। वैसे ही सप्ता के त का लोप कर प को द्वित्त्व करने (राज०नि० १२/१२०, १२१ पृ० ४२०) से सप्पा रूप बन जाता है। आगे श्व में सर्वत्र व का लोप होता है। इसप्रकार संस्कृत के सप्ताश्व शब्द का प्राकृत सयपत्त में सप्पास रूप बन सकता है। सयपत्त (शतपत्र) रक्तकमल, सौपुष्पदल वाला सप्पास (सप्ताश्व) श्वेतरोहीतक सप्ताश्वः ।पुं। अर्कवृक्षे, श्वेतरोहीतकवृक्षे। कमल। जीवा० ३/२८६ प० १/४६ ___ रा०नि०व० ८ । (वैद्यक शब्द सिंधु पृ० १०६८), शतपत्रम् ।क्ली|कमले, शतदलकमले। श्वेतरोहीतक के पर्यायवाची नाम (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० १०२१) सप्ताहः श्वेतरोहितः, सितपुष्पः सिताहयः शतपत्र के पर्यायवाची नामशिताङ्गःशुल्करोहितो, लक्ष्मीवान् जनवल्लभः ।।१५।। वा पुंसि पद्म नलिन, मरविन्दं महोत्पलम्। श्वेतरोहित, सितपुष्प, सिताह्वय, शिताङ्ग, शुल्क सहस्रपत्रं कमलं शतपत्रं कुशेशयम।।१।। रोहित, लक्ष्मीवान, जनवल्लभ ये सब श्वेतरोहितक के नाम पद्म, नलिन, अरविन्द, महोत्पल, सहस्रपत्र, हैं। (राज०नि०८/१५ १० २३४) कमल, शतपत्र, कुशेशय आदि ये संस्कृत में कमल के विमर्श-वैद्यक शब्द सिन्धु में सप्ताश्व शब्द के लिए नाम हैं। (भाव०नि० पुष्पवर्ग०पृ० ४७६) राजनिघंटु के वें वर्ग का प्रमाण दिया है। ऊपर के श्लोक विवरण-कमल पुष्पों में पंखुड़ियों या पुष्पदलों की में सप्ताश्व के स्थान पर सप्ताहव शब्द छप गया है। संभव संख्या बहुत होने से यह शतदल या सहस्रदल कहलाता है छपने की अशुद्धि हो। है। (धन्व० वनौषधि विशेषांक भाग २ पृ० १३८) विवरण-राजनिघंटुकार ने रोहिडा के दो भेद देखें अरविंद शब्द। बतलाये हैं, लाल और सफेद । ये दोनों भेद राजस्थान में होते हैं। लाल के फूल गहरे लाल होते हैं और सफेद सयपुप्फा के हल्के पीले। सयपुप्फा (शतपुष्पा) सोया, वनसौंफ (धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ६ पृ० ३०) भ० २१/२१ प० १/४४/३ विवरण-प्रस्तुत प्रकरण में सयपुप्फा शब्द हरितवर्ग सफा के अन्तर्गत है। सोया का साग होता है। इसलिए सफा (शफ) नखीगंधद्रव्य भ० २३/४ सयपुप्फा का सोया अर्थ ग्रहण कर रहे हैं। शफः पुं। नखीनामगन्धद्रव्ये । पशुखुरे। तरुमूले। शतपुष्पा के पर्यायवाची नाम(वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० १०२४) शताहा शतपुष्पा च, मिसि?षा च पोतिका। शफ के पर्यायवाची नाम अहिच्छत्राप्यवाकपुष्पी, माध्वी कारवी शिफा ।।१०।। नखः कररुहः शिल्पी, शक्तिः शङ्खः खुरः शफ: सङ्घातपत्रिका छत्रा, वज्रपुष्पा सुपुष्पिका। वलः कोशी च करजो, हनु गहनुस्तथा।।१२० ।। शतप्रसूना बहला, पुष्पाहा शतपत्रिका।।११।। पाणिजो बदरीपत्रो, धूप्यः पण्यविलासिनी वनपुष्पा भूरिपुष्पा, सुगन्धा सूक्ष्मपत्रिका। सन्धिनालः पाणिरुहः, स्यादष्टादश संज्ञकः ।।१२१।। गन्धारिकाऽतिच्छत्रा च, चतुर्विंशति नामका ।।१२।। नख, कररुह. शिल्पी, शुक्ति, शङ्ख, खुर, शफ, शताहा,शतपुष्पा, मिसि, घोषा, पोतिका, अहिच्छत्रा वल, कोशी, करज, हनु, नागहन, पाणिज, बदरीपत्र अवाकपुष्पी, माधवी, कारवी, शिफा, संघातपत्रिका छत्रा .... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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