Book Title: Jain Agam Vanaspati kosha
Author(s): Shreechandmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 300
________________ 280 जैन आगम : वनस्पति कोश उत्पत्ति स्थान-यह पश्चिम हिमालय के नीचे के जंगलों में, मध्यभारत, बिहार से राजपुताना तक, दक्षिण और कोंकण आदि प्रान्तों में होता है। आसाम तथा बंगाल में नहीं होता है। विवरण-शालइ का वृक्ष ३० फीट तक ऊंचा होता है। शाखाएं नीचे की ओर झुकी हुई होती हैं। छाल रक्ताभ पीत या हरितश्वेत चिकनी और कागज के समान छूटने वाली होती है। संयुक्त पंक्तियां शाखाओं के अग्र पर दलबद्ध रहती हैं। पत्रक आमने सामने वा कुछ अंतर देकर ८ से १५ जोड़े होते हैं, जो लंबे, नीम के पत्तों के समान भालाकार या रेखाकार तथा दन्तमय धारवाले होते हैं । पुष्प छोटे एवं श्वेत रंग के होते हैं। पुष्प के बाह्य कोश एवं आभ्यन्तर कोश के दल ५-५, पुंकेसर ५ बड़े और ५ छोटे होते हैं। फल मांसल और तीन धार वाला होता है, जो पकने पर तीन भागों में फटता है। (भाव०नि० वटादिवर्ग० पृ० ५२१) पत्र बीज शारखHA बोल सस सस (शश) बोल, हीराबोल प० १/४०/५ शशः (क:) लोध्रवृक्षे । बोले। (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० १०३१) विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में सस शब्द वल्ली वर्ग के अन्तर्गत है। लोध का वृक्ष २० फुट ऊंचा होता है और हीराबोल का १० फुट का होता है। इसलिए यहां बोल (हीराबोल) अर्थ ग्रहण कर रहे हैं। शश शब्द कोशों में है लेकिन निघंटुओं में शश शब्द नहीं मिलता। इसलिए बोल शब्द के पर्यायवाची नाम दे रहे हैं। बोल के पर्यायवाची नाम बोलगन्धरसप्राणपिण्डगोपरसाः रमाः। बोल, गन्धरस, प्राण, पिण्ड तथा गोपरस ये सब बोल के संस्कृत नाम हैं। (भाव०नि० धात्वादिवर्ग० पृ० ६२२) अन्य भाषाओं में नाम हि०-बोल, हीराबोल । बंब०-करम, बंदरकरम । अं०-Myrrh (मिह) ले०-Commiphora myrrha Holmes (कॉम्मिफोरा मिह) Fam. Burseraceae (वर्सेसी)। उत्पत्ति स्थान-इसका वृक्ष उत्तर पूर्व अफ्रीका तथा अरब में पाया जाता है। विवरण-यह करीब १० फीट ऊंचा होता है। यह उपर्युक्त वृक्ष का निर्यास है। अधिकतर यह अपने आप ही निकला हुआ पाया जाता है किन्तु कभी-कभी वृक्षों में चीरा लगाकर भी इसे प्राप्त करते हैं। यह पीताभ श्वेत गाढ़ा तरल पदार्थ होता है, जो वृक्ष से निकलते ही गरमी से सूखकर रक्ताभ भूरा हो जाता है। (भाव०नि० पृ० ६२३) सस सस (शश) लोध प० १/४०/५ शश(क:) लोध्रवृक्षे ।बोले (वैद्यक शब्द सिन्धु पु० १०३१) अन्य भाषाओं में नाम हि०-लोध, लोध । बँ०-लोध, लोध्र । म०-लोध्र । 7०-लोधर । मल०-पाचोट्टी। कन्नड०-बाला लोट्, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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