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जैन आगम : वनस्पति कोश
दूसरी आकर्षकारी है।
कांटे होने से यह कण्टकारी कहाती है। छोटी कटेरी के (राज० नि० व० ८/६४ पृ० २४५) दो भेद हैं-एक तो बैंगनी या नीले रंग के फूलवाली जो अन्य भाषाओं में नाम
कि प्रायः सर्वत्र सुलभ है। दूसरी श्वेतपुष्पवाली, जो सर्वत्र हि०-कटेरी, लघुकटाई, कटकारी, भटकरैया सुलभ नहीं है। रेंगनी, रिगणी, कटाली, कटयाली। बं०-कंटकारी। इसकी शाखायें बहुत आड़ी टेढ़ी होती है। पत्ते २ म०-रिगंणी, भुइरिंगणी (गु०-बेठी, भोरिंगणी, से ४ इंच लंबे, विषम दरार युक्त या गहरे कटे किनारों भोयरिंगणी। क०-नेल्लगुल्लु। ते०-चल्लनमुलग। वाले, १ से ३ इंच चौड़े, डिम्बाकृति के एवं श्वेत रेखांकित मा०-पसरकटाई। पं0-कंडियारी, बरुम्ब | ता०-कंडन होते हैं। शाखाओं पर तथा पत्तों के नीचे और ऊपरी पृष्ठ कत्तरि। अ०-हदक, हसिम, शौकतुलअकरब। भाग पर असंख्य कांटे होते हैं। यह सरलता से स्पर्श नहीं फा०-बादंगानबरी,
___ कटाईखुर्द। की जा सकती। फूल बेंगनी या गहरे नीले रंग के ले०-Solanumxanthocarpumschrad &Wendi (सालॅनम छोटे-छोटे बसंत या ग्रीष्म में फूलते हैं। इनके बहिरावरण न्थोकार्पम श्रड वेण्ड)।
भाग पर भी कांटे होते हैं। पुष्प के भीतर पीले रंग की
केसर होती है। फल गोलाकार लगभग १ इंच व्यास के Solamin xanthocantur. Schr& Wendl.
चिकने पीले एवं नीचे की ओर झुके हए, कच्ची अवस्था में श्वेत रेखांकित हरे रंग के ग्रीष्म ऋतु में आते हैं। तथा शरद में ये परिपक्व होकर पीले पड़ जाते हैं। हेमन्त और शिशिर ऋतु में इसके क्षुप जीर्ण शीर्ण हो जाते हैं। फलों में बीज नन्हें नन्हें बैंगन के बीज जैसे चिकने और मुलायम होते हैं। इसकी मूल छोटी अंगुली जैसी मोटी एवं सुदृढ होती है।
(धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग २ पृ० ५२, ५३)
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कालिंग कालिंग (कालिङ्ग) तरबूज प०१४८/४८ कालिङ्ग के पर्यायवाची नाम
कालिन्दकं स्यात् कालिङ्ग, कृष्णबीजं प्रकीर्तितम् ।५३५ । पराग
कालिन्दक, कालिङ्ग, कृष्ण बीज ये कालिङ्ग के पर्याय है
(कैयदेव, नि० ओषधिवर्ग-पृ०६८) अन्य भाषाओं में नाम
हिo-तरबूज, तरबूजा। बं०-तरमुज। म०उत्पत्ति स्थान-छोटी कटेरी (बेंगनी पुष्पों वाली) कलिंगड। ता०-कोमाट्टि। ते०-पुच्चकाया, तरबूज । भारतवर्ष में पायः सर्वत्र ही, विशेषतः रेतीली भूमि पर फा०-हिन्दबाना, हिन्ददानह । अ०-बत्तिख हिन्दी, जकी। अपने चारों ओर २ से ६ फीट के घेरे में फैली हुई पायी अं-Watermelon (वाटर मेलन)। ले०-Citrullus जाती है। दक्षिण पूर्व एशिया, मलाया एवं आष्ट्रेलिया के Vulgaris Schrad (सिट्रयुलस बलॅगरिस्)। उष्णप्रदेशों में भी यह पायी जाती है।
उत्पत्ति स्थान-प्रायः सब प्रान्तों के खेतों में यह विवरण-इसके सर्वांग में सीधे, पीले चमकीले रोपण किया जाता है। उत्तर पश्चिमी उष्ण तथा शुष्क
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