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जैन आगम : वनस्पति कोश
लेo-Euphorbia Dracunculoides Lam (युफोर्बिआ फ्रग्रेन्स हाउट) Fam. Myristicaceae (मायरिस्टिकॅसी)। डॅकनक्युलॉइडिस्)।
विमर्श-जायफल और जावित्री का एक ही वृक्ष विवरण-इसका क्षुप एक वर्षायु प्रायः ४ से ८ इंच है फिर भी भावप्रकाश निघंटु में दोनों का अलग-अलग ऊंचे, चिकने तथा सामान्यतः धूसर वर्ण के होते हैं। इसमें वर्णन किया है। पीताभ क्षीर होता है। शाखायें प्रायः द्विविभक्त क्रम में विवरण-जिस वृक्ष से जायफल उत्पन्न होता है निकली हई रहती हैं। पत्ते अभिमुख (नीचे कुन्तल) उसी से जावित्री भी उत्पन्न होती है। इस वृक्ष के अवन्त, रेखाकार, रेखाकारप्रासवत या रेखाकार आयताकार वास्तविक फल के भीतर के बीज (जायफल) से लिपटा
इंच लंबे होते हैं। पुष्प पुष्पाकार व्यूह एकाकी हुआ लाल रंग का जालीदार जो वेष्टन दिखाई देता है और द्विविभक्त काण्ड के बीच में होते हैं। ग्रामीण इसके वही जावित्री है। बीज तैल को जलाने के काम में लेते हैं। चर्मरोगों में भी
(भाव०नि० कर्पूरादिवर्ग पृ० २१८) यह उपयोगी बतलाया जाता है। (भाव० नि० गुडूच्यादि वर्ग पृ० ३१२)।
जासुअण जावति
जासुअण (जपासुमन) जवाकुसुम रा० २७ ।। जावति ( ) जावित्री
देखें जासुमण शब्द। भ० २२/१ प० १/४३/१ विमर्श-पाइअसद्दमहण्णव में जावति की छाया
जासुमण जातिपत्री है। उसे हिन्दी में जावित्री और गुजराती में जासुमण (जपासुमन) जवाकुसुम प०.१/४०/३ जावंत्री कहते हैं। ये दोनों शब्द जावई के निकट हैं। प्रस्तुत प्रकरण में जावति शब्द वलयवर्ग के अन्तर्गत है। जातिपत्री (जावित्री) वृक्ष की छाल होती है। इसलिए जावति का अर्थ जावित्री उपयुक्त है। जातिपत्री के पर्यायवाची नाम
मालतीपत्रिका ज्ञेया, सुमनःपत्रिकापि च । जातीपत्री जातिकोश, स्तथा सौमनसायिनी ।।१२२६ ।।।
मालतीपत्रिका, सुमनपत्रिका, जातिकोश, जातीपत्री तथा सौमनसायिनी ये जातीपत्री के पर्याय हैं।
(कैयदेव०नि० ओषधिवर्ग० पृ० २४६) जातीफलस्य त्वक् प्रोक्ता जातीपत्री भिषगवरैः
जातीफल (जायफल) की छाल को जातीपत्री कहा जाता है। अन्य भाषाओं में नाम
हिo-जावित्री, जायपत्री। बं०-जायिपत्री, जैत्री। म०-जायपत्री। गु०-जावंत्री। कo-जायत्री। ते०जातिपत्री । फा०-बज्बाजा ।अ०-बसवास । अंo-Mace
___ जपासुमन के पर्यायवाची नाम(मेस)। ले०-Myristica fragrans Houtt (मारिस्टिका
जपापुष्पं जवापुष्पं, मोण्ड्रपुष्पं जवा जपा।।१५११।।
पुष्प
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