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विमर्श - प्रज्ञापना १/४१ / १ में वेत्त शब्द है और १/४२/१ में वेय शब्द है । दोनों शब्द पर्यायवाची और वेंत अर्थ के वाचक हैं। वेय शब्द पर्वक वर्ग के अन्तर्गत है इसलिए वेय का हिन्दी भाषा का अर्थ वेद या वेदसादा ग्रहण कर रहे हैं । वेद सादा प्रर्वक वनस्पति है । वेत के पर्यायवाची नाम
वेत्रो वेतो योगिदण्डो, सुदण्डो मृदुपर्वकः । वेत्र, वेत, योगिदण्ड, सुदण्ड तथा मृदुपर्वक ये सब वेत के नाम हैं। ( राज० नि० ७ / ४१ पृ० १६६ )
अन्य भाषाओं में नाम
हि० - वेदसादा, वेद । पं०-बिस, बुशन, चम्पा । काश्मीर० - बिबिर | अo - White willow (ह्वाइट विलो ) Huntigdon willow (इंटिगडन बिलो) लेo - Salix Alba ( सेलिक्स अल्वा) ।
उत्पत्ति स्थान - हिमालय के पश्चिमोत्तर प्रदेशों में तथा तिब्बत में यह अधिक पैदा होता है। काश्मीर के रास्ते पर इसके अत्यधिक वृक्ष लगाये हुए देखे जाते हैं।
विवरण- वेतस कुल के इस सुन्दर बड़े झाड़ीदार वृक्ष के कांड पीताभ श्वेतवर्ण के कुछ पोले से; छाल श्वेतरंग की । उपशाखाएं पीली लाल या बैंगनी, पत्र बारीक ६ से १ इंच लंबे, उपपत्र २.५ से ४ इंच लंबे, सकरे, बल्लभाकार, नोकदार प्रायः ४ से ५ पत्र एकत्र, एकान्तर समूहबद्ध, ऊपरी भाग में हरे, पृष्ठभाग में श्वेत या श्यामवर्ण के । पत्रवृन्त १/२ इंच लंबा । पुष्प वसंत ऋतु में। पत्र निकलने के बाद, कहीं-कहीं पत्र निकलने के पूर्व ही, पुष्प पीतवर्ण या श्वेताभ नीलेरंग के कोमल
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वेलूय
मखमली, छोटे-छोटे सुगन्धित, लंबी मंजरियों में, वेलूय ( वेणुयव) वेणु बीज, वांस के चावल
प० १/४१/२
पुंमंजरी १ से २ इंच लंबी, पतनशील, स्त्रीमंजरी कुछ अधिक लंबी (२ से ३ इंच तक) पतनशील होती है। कहीं-कहीं इसमें जो फली आती है वह चिकनी प्रायः वृन्तरहित होती है।
आयुर्वेदिक निघंटु के मतानुसार यह या इसकी जातियां जलवेतस या जलमाला है। इनके क्षुपदार वृक्ष प्रायः नदी या नालों के किनारे विशेष पैदा होते हैं। इनके लचीले पतले कांड या शाखायें टोकरियों के बनाने में काम आते हैं।
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जैन आगम वनस्पति कोश
(धन्व० वनौषधि विशेषांक भाग ५ पृ० १७८. १७६)
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वेलुया
वेलुया ( वेणुयव) वेणु बीज, वांस के चावल
भ० २१/१७
वेणुवः । पुं । वंशजधान्ये |
वेणुयव के पर्यायवाची नाम
वेणुजो वेणुबीजश्च वंशजो वंशतण्डुलः ।। वंशधान्यं च वंशाह्वो, वेणुवंशद्विधायवः । । ७१ ।। वेणुज, वेणुबीज, वंशज, वंशतण्डुल, वंशधान्य, वंशा, वेणुवंश ये वेणुबीज के संस्कृत नाम हैं । (राज0नि० १६ / ७१ पृ० ५४२)
(वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० १००३)
अन्य भाषाओं में नाम
म० - वेणुजव | क० - बिदरकी । ते० - वेटुरु, विरयमु । गौ० - वांसेर चाला |
विवरण-प्रायः वांस का वृक्ष पुराना होने पर फूलता फलता है और कोई-कोई वांस अवधि के पूर्व ही फूलने फलने लगता है। इसके फूल छोटे-छोटे सफेद होते हैं और फल जइ के आकार के दिखाई पड़ते हैं । इसको वे कहते हैं।
(भाव०नि० गुडूच्यादि वर्ग० पृ० ३७७) देखें वंस शब्द ।
देखें वेलुया शब्द |
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वोडाण
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प० १/४४/१
वोडाण ( विमर्श - उपलब्ध निघंटुओं तथा शब्दकोशों में वोडाण शब्द का अर्थ उपलब्ध नहीं हुआ है ।
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