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जैन आगम : वनस्पति कोश
(वेसेलारुब्रा) Fam. Basellaceae (बेसेलेसी)।
पगफल के पर्यायवाची नाम
पूगन्तु चिक्कणी चिक्का, चिक्कणं श्लक्ष्णकं तथा उदवेगं क्रमुकफलं, ज्ञेयं पूगफलं वसु ।।२३५।।
पूग, चिक्कणी, चिक्का, चिक्कण श्लक्ष्णक, उद्वेग, क्रमुकफल तथा पूगफल ये सब सुपारी के आठ नाम हैं।
(राज०नि०११/२३५ पृ०३८८) अन्य भाषाओं में नाम
हि०-सुपारी, सोपारी, सुपाड़ी,कसेली। बं०शुपारी, सुपारी। म०-सुपारी, पोफल । गु०-सोपारी। ता०-कमुगु । क०-कडि, अडिके। ते०-पोका | फा०पोपिल। अ०-फोफिल। अं०-Betel Nut Palm (वटलनटपाम)। ले०-Arecacatechu linn (एरेकाकॅटेच) Fam. Palmae (पामी)।
उत्पत्ति स्थान-यह इस देश के प्रायः सब प्रान्तों में बोई जाती है तथा वन्य भी पाई जाती है।
विवरण-इसका क्षुप बहवर्षाय, फैलनेवाला, लतासदृश होता है। पत्ते शीशम के पत्ते के समान गोलाकार परन्तु उनसे मोटे ५४३ इंच बड़े और गूदेदार होते हैं। पत्रदण्ड से कोमल सींक निकलकर उस पर उत्पत्ति स्थान-इसके वृक्ष बंगाल, आसाम, क्रमशः लालमिश्रित सफेद रंग के फूल आते हैं। फल सिलहट, मैसूर, कनारा, मलावार तथा दक्षिण हिन्दुस्थान छोटे-छोटे गोल, किंचित् नोकीले एवं पकने पर के कई प्रान्तों में तटीय प्रदेशों में लगाये हुए पाये जाते कालापन युक्त बैंगनी रंग के हो जाते हैं। सफेद और हैं। लाल कांड के भेद से यह दो प्रकार की होती है।
विवरण-इसका वृक्ष ताड़ और नारियल के समान (भाव०नि०शाकवर्ग० पृ०६६५) ऊंचा (४० से ६० फीट) पर वांस के समान पतला होता
है। पत्ते बड़े-बड़े पक्षवत, नारियल के पत्तों के समान ४ पूयफली
से ६ फीट लम्बे, जिनमें ऊपर के उपपक्ष मिले हुए तथा पूयफली (पूगफल) सुपारी
वृन्त का नीचे का भाग चौड़ा तथा फैला हुआ होता है। भ०२२/१ जीवा०३/५८६ जं०२/६ प०१/४३/२
फूल, पत्रकोशावृत गुच्छ में जिनमें पुंपुष्प छोटे, अधिक
ह
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