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जैन आगम वनस्पति काश
प्रान्तों की उपजाऊ भूमि में पाया जाता है।
विवरण- इसके छोटे-छोटे क्षुप वर्षा ऋतु के आरंभ काल में ही उत्पन्न हो जाते हैं। शाखायें पत्र और पुष्प सफेद बाबूना के समान ही होते हैं । किन्तु इनके डंठल कुछ पोले होते हैं। तना और शाखायें रुएंदार । ये शाखायें एक तने या डाली में से निकल कर कई हो जाती हैं। जड़ में एक प्रकार की सुगंध होती है। मूल दो इंच से ४ इंच तक लंबी और आधे से पौन इंच तक मोटी वजनदार होती है। डाली ऊपर को उठी हुई तथा पुष्प पटल श्वेतवर्ण के होते हैं। मूल की छाल मोटी, भूरी और झुर्रीदार होती है। अन्य वनस्पतियों का गुणधर्म तो एक वर्ष में नष्टप्रायः हो जाता है किन्तु इस असली अकरकरा मूल का गुणधर्म ६ वर्षों तक प्रायः जैसे का तैसा ही रहता है । इसको मुख में चबा लेने पर अन्य कटु, तिक्त आदि औषधियों का कुछ भी स्वाद मालूम नहीं देता। वे सरलता पूर्वक सेवन की जा सकती हैं। इसकी डाल के ऊपर गोल गुच्छेदार छत्री के आकार का, किन्तु बाबना से विपरीत सफेदी लिए हुए पीत वर्ण का पुष्प होता है । (धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग १ पृ० ३३)
करकर
करकर ( क्रकर ) करीर
भ०२१/१६ प० १/४२/२, १/४८/४६
क्रकरः पुं । वंशकरीरे पर्यायमुक्तावली
(वैद्यक शब्द सिंधु पृ० ३२६)
विमर्श - करकर का एक अर्थ करकरा (अकरकरा ) किया है। दूसरा अर्थ करीर भी होता हैं यहां दूसरा अर्थ भी दे रहे हैं। पर्यायमुक्तावली में क्रकर शब्द है । वह उपलब्ध न होने से क्रकरीपत्र शब्द दिया जा रहा है। क्रकर के पर्यायवाची नाम
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करीरः क्रकरपत्रो, ग्रन्थिलो मरुभूरुहः ।। करीर, क्रकरीपत्र, ग्रन्थिल, मरुभूरुह ये करील के संस्कृत नाम हैं। (भाव०नि० वटादिवर्ग० पृ० ५४१)
देखें करीर शब्द |
करमद्द
करमद्द (करमर्द) करौंदा करमर्द के पर्यायवाची नाम
करमर्दक माविग्नं, सुषेणं पाणिमर्दकम् ।
कराम्लं करमर्दं च, कृष्णपाकफलं मतम् ।। ६२ ।। करमर्दक, आविग्न, सुषेण, पाणिमर्दक, कराम्ल करमर्द और कृष्णपाकफल ये सभी करमर्दक के पर्याय हैं। ( धन्व० नि० ५ / ६२ पृ० २४८ )
फल
करोंदा |
अन्य भाषाओं में नामहि० - करौंदा, म० - करवंद | गु० - करमदां । ते० - वाकाकरवंदे | ता० - कलक्के | Carandas Linn (करिसा कॅरण्डस् ) Fam. Apocynaceae (एपोसाइनेसी) ।
ao-Carissa
पुष्प
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प० १/३७/४
शाख
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बं० - करमचा
क० - करिजगे ।
पत्र
उत्पत्ति स्थान - यह प्रायः बाग-बगीचों में रोपण किया जाता है तथा सभी भागों में होता है।
विवरण -- इसका वृक्ष छोटा झाड़दार और सदा हराभरा रहता है। इस पर तीक्ष्ण युग्म कांटे होते हैं । पत्ते १.५ से २ इंच लंबे, १ से १.५ इंच चौड़े, नींबू के पत्तों
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