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जैन आगम : वनस्पति कोश
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भद्रमुञ्ज के पर्यायवाची नाम
भद्रमुञ्जः शरो बाण, स्तेजनश्चेक्षुवेष्टनः ॥१५८॥
भद्रमुञ्ज, शर, बाण, तेजन और इक्षुवेष्टन ये सब नाम सरपत के हैं। (भाव० नि० गुडूच्यादिवर्ग० पृ० ३७९) अन्य भाषाओं में नाम
हि०-भद्रमुञ्ज, रामसर, सरपत, कंडा, सरकंडा। क०रामसपु, सरगोल्लापं०- सरकंडा, करकाना। सन्ताल०-सर। ते०-वेल्लुपोनिका सिंध-सर। बं-शर। गु०-तीरकांस।
उत्पत्ति स्थान-यह उत्तरभारत, पंजाब तथा गंगा के ऊपरी मैदान में उत्पन्न होता है।
विवरण-यह तृणजाति की बहुवर्षायु वनस्पति प्रायः नदियों के किनारे गुच्छों में उगती है। यह १२ से १८ फीट तक ऊंचा होता है। पत्ते बहुत पतले-पतले ५ से ७ फीट लंबे, ३/ ४ से १ इंच चौडे तथा तीक्ष्णाग्र होते हैं। डंठल के अंत में पीताभ सफेद से रक्ताभ बैंगनी बारीक फूलों का घनहरा लगता है। इसके कांड पत्र तथा पत्रकोषों से निकाले रेशे काम में लिये जाते हैं। इसकी एक और जाति होती है जिसे मूंज कहा जाता है जो आकार प्रकार में छोटी होती है।
(भाव०नि० गुडूच्यादि वर्ग पृ० ३८०)
कण्डु (कण्डु) ला (ली)। स्त्री। अत्यम्लपाम्
(वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० १९३) कण्डुरा । स्त्री। अत्यम्लपर्णी लता। कपिकच्छु।
(शालिग्रामौषध शब्द सागर पृ०२३) कण्डुला के पर्यायवाची नाम
अत्यम्लपर्णी तीक्ष्णा च, कण्डुला वल्लिसूरणा। वल्ली करवडादिश्च, वनस्थाऽरण्यवासिनी॥
अत्यम्लपर्णी, तीक्ष्णा, कण्डुला, वल्लिसूरणा, वल्ली, करवडादि, वनस्था, अरण्यवासिनी ये अत्यम्लपर्णी के पर्यायवाची नाम हैं।
(राज. नि० ३/१२९ पृ०५६) अन्य भाषाओं में नाम
हि०-रामचना, खटुआ, अम्लबेल, अमलबेल, अमर्ती, इमर्ती, गिदादद्राक्, कस्सर।बं०-कड़बड़वेनि, बंदल, बुंदल, अमललता, सोनकेसुर। राज०-रामचिंणा। म०-आवेटबेल, कड़मड़ वल्लि, ओधी, अंवट बेल। ते०-मंडलमारी,कुरुदिन्ने, काडेयतिग्गे, कनपटिगे, मंडल मारीतिगे, मेकमेत्तनिचेट्ट खाट खटूब वेल्याक०-हिग्गोली, जारिललरा।ता०-तुकबुलिरिक। आसामिया०-मैमटी पं०-कारिक, आम्ल बेल, गिदरद्राक, द्रिकी, वल्लर। गु०-खाट खटंबो। सिंहली-बलरत दियलबु। ले०-Vitis trifolia (बिटिसट्रिफोलिया)Vitis Carnosa (बिटिस करनोसा) Vitis penta phylla (बिटिस पेनटा फाइला)।
1-1-पुष्प
कंडुक्क कंडुक्क (कण्डुका) काकतुण्डी, गुञ्जा
प०१/४८/६२ कण्डुका। स्त्री। काकतुण्ड्याम्। वैद्यकनिघंटु। .
(वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० १९३) देखें कागणि शब्द।
कंडुरिया कंडुरिया (कण्डुरी, कण्डुली) अत्यम्लपर्णी,रामचना
प०१/४८/२ विमर्श-कंडुरिया शब्द की संस्कृत छाया कण्डुरिका और कण्डुलिका होती है।कण्डुरिका और कण्डुरी,कण्डुलिका और कण्डुली समान ही हैं। प्रस्तुत प्रकरण में कण्डुला या कण्डुली शब्द संस्कृत भाषा का ग्रहण किया गया है। प्रस्तुत प्रकरण में यह कंद वर्ग के शब्दों के साथ है। रामचना के कंद प्रयोग में आते हैं।
फलकटा.
हुआ
पुषण
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