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जैन आगम : वनस्पति कोश
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Mig (एंथोसिफेलस कदम्ब)Fam. Rubiaecae (रूबिएसी)।
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कदलि कदलि (कदली) केला
भ०२२/१ कदली के पर्यायवाची नाम
कदली वारणा मोचाऽम्बुसारांशुमती फला।।
कदली. वारणा, मोचा, अम्बुसारा तथा अंशुमतीफला ये केला के संस्कृत नाम हैं।
(भाव०नि० आम्रादिफल वर्ग० पृ० ५५६) अन्य भाषाओं में नाम
हिO-केला, कदली. केरा। बं०-केला, कला। म०-केल। गु०-केला। क०-बालि। ते०-अरटि। ता०-वाले। फाo-मोज़, मोझ। अ०-तल्ह। so-Plantain (प्लॅन्टेन) ले०-Musa Sapientum Linn (म्यूसा सेपिएन्टम) ले०-Fam. Musacease (म्यूसेसी)।
केला MUSA SAPIENTUM LINN.
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फल
उत्पत्ति स्थान-कदम के पेड़ उत्तर, पूर्व बंगाल, मलयदेश, पेगु आदि प्रान्तों की रेतीली एवं क्षारमिश्रित भूमि में आप ही आप जंगली उत्पन्न हो जाते हैं। उत्तर भारत, उत्तर प्रदेश (विशेषतः मथुरा, वृन्दावन की ओर) तथा बिहार, बंबई, ब्रह्मा, सिंहल आदि प्रान्तों में भी कहीं बाग-बगीचों में इनका रोपण किया जाता है।
विवरण-कदम्ब का वृक्ष ४० से ५० फीट ऊंचा बड़ा और छायादार होता है। पत्ते महवे के पत्तों के समान लंबाई युक्त अंडाकार ५ से ६ इंच लंबे होते हैं। इन पर सिराएं बहुत स्पष्ट होती हैं। पुष्पगुच्छ १ से २ इंच के घेरे में, गोलाकार, नारंगी रंग के अनेक पुष्प गुच्छ होते हैं और उनसे विशेष कर रात्रि में सुगंध आती है। फल कच्चे में हरे और पकने पर फीके नारंगी रंग के १ से १.५ इंच व्यास में गोल तथा मधुराम्ल होते हैं।
(भाव०नि० पुष्पवर्ग० पृ० ४६६)
Tan
तरती
कदली
फलकाट
उत्पत्ति स्थान-इसका वृक्ष प्रायः सब प्रान्तों में होता है।
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