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जैन आगम : वनस्पति कोश
स्थूलैला
अन्य भाषाओं में नाम
हि०-बालुका साग। बं०-बालुक म०-बालु ची भाजी। ता०-मनलकिरै। ते०-एसकदन्तिकुर ले०-Gisekia Pharnaceoides Linn(गिसेकिआ फार्नेसिओ इडिस)
उत्पत्ति स्थान-यह वनस्पति पंजाब, सिंध, दक्षिण, तथा सिलोन में होती है।
विवरण-इसके क्षुप छोटे फैले हुए तथा अनेक शाखाओं से युक्त होते हैं। पत्र विपरीत, मांसल, अखंड, अंडाकृति, करीब १ इंच लंबे तथा आधार की तरफनोकीले होते हैं। पष्प अनेक. फल बाहयदल से आवत झिल्लीदार होते हैं। बीज काले से, पृष्ठ पर गोलाई लिए हुए एवं श्वेत छोटी ग्रंथियों से युक्त होते हैं। बंगाल में बालुक नाम से यह बीज बिकते
(भाव०नि० पृ० २६३)
उत्पत्ति स्थान-इसकी खेती नेपाल, बंगाल, सिक्किम तथा आसाम के पहाडी भागों के पास में गीली भूमि में की
जाती है। एला
विवरण-इसका क्षुप आमाहल्दी के समान होता है और
उसकी जड़ के नीचे कन्द रहता है। पत्र दण्ड ३ से ४ फूट ऊंचा एला (एला) इलायची, बडी इलायची
होता है। पत्ते १ से २ फुट लंबे, ३ से ४ इंच चौड़े, आयताकार
भालाकार हरे एवं चिकने होते हैं। फूल अवृन्त काण्डज, व्यूहों रा० ३०जीवा-३/२८३
में नलिकाकार सफेद रंग के आते हैं। फल किंचित् लंबाई एला स्थूला च बहुला, पृथ्वीका त्रिपुटाऽपिच॥६०॥
लिये गोल, १ इंच तक लंबे तथा लाल भूरे रंग के होते हैं। बीज भट्टैला बृहदेला च, चन्द्रबाला च निष्कुटिः।।
शर्करायुक्त, गाढे गूदे के कारण आपस में चिपके हुए अनेक एला,स्थूला, बहुला, पृथ्वीका, त्रिपुटा, भद्रेला, बृहदेला, बीज प्रत्येक कोष में होते हैं। बड़ी इलायची की बहुत सी चन्द्रबाला, निष्कुटि ये सब बडी इलायची के संस्कृत नाम हैं। जातियां भारत वर्ष में पाई जाती है।बडी इलायची में एक हलके
(भाव० नि० पृ० २२१) पीले रंग का उडनशील तैल पाया जाता है। इस तैल में
सिनिओल, नामक पदार्थ बहुत रहता है। अन्य भाषाओं में नाम
(भाव०नि० पृ० २२१,२२२) हि०-बड़ी इलायची, पूर्वी इलायची, लाल इलायची। बं०-बड़ा इलाची। म०-मोठी एलची, मोठे वेलदोड़े गु०एलचा, मोटी एलची। ते०-पेद्दायेलाकी। ता०-पेरेलम,
एलावालुंकी पेरिय एलक्के। क०-डोड्डा एलाकी। फा०-हीलकलॉ। अ०
एलावालुंकी (एलवालुक) बालुका साग काकुले कुवार। काकुले जंजी। अं०-Nepal or greater Cardamom (नेपाल या ग्रेटर कार्डेमोम्) ले०-Amomum
देखें एलवालूकी शब्द। Subulatum Roxb(एमोमम् सबुलेटम् राक्स्)Fam. Zingiberaceae (झिंजिबेरेंसी)।
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