Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 1
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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गो० कर्मकाण्डे
औ औ औ । औ ते । औ का ३ । औ ते का
वै वै । वै तै । वै का। | वैते का ४ आ आ आ आ तै | आ। का | आते का ४
। तै का २ का का का इन्ती द्विसंयोगादिजनितपंचदशभंगंगळोळ पुनरुक्तंगळप्प औदारिकौदारिक वैक्रियिकवैक्रियिक आहारकाहारक तैजसतैजस कार्माणकार्मणमें ब द्विसंयोगभंगपंचकर्म बिटु शेषदशभंगंगळं त्रिनवतिनामकम्मंगळोळु कूडुत्तं विरलु व्युत्तरशतं वा यदु पेळ्द नामकर्मयुत्तरप्रकृतिगळप्पुवु।
शरीरवंधननामकम्मं पंचविधमक्कुमौदारिक वैक्रियिक आहारक तैजसकार्मण शरीर बंधननामकर्ममें दिन्तु।
शरीरसंघातनामकर्म पंचविधमक्कुं मौदारिकवैक्रियिकाहारकतैजसकार्मणशरीरसंघात नामकम्मन दितु।
शरीरसंस्थाननामकम्मं षड्विधमक्कुं। समचतुरस्रसंस्थाननामकर्मम बुदु न्यग्रोधपरि१° मण्डल स्वाति कुन्ज वामन हुंडशरीर संस्थाननामकर्ममें दितु ।
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ते ते तं ते का का । का
का एतासु औदारिकौदारिकादयः कार्मणकार्मणान्ताः सदृशद्विसंयोगाः पञ्च पुनरुक्ता इति त्यक्त्वा शेषदशसु विनवत्यां निक्षिप्तासु व्युत्तरं शतं नामकर्मोतरप्रकृतयो भवन्ति ।।
शरीरबन्धननाम पञ्चविध-औदारिकवैक्रियिकाहारकर्तजसकार्मणशरीरबन्धननामेति । शरीरसंघातनाम पञ्चविध-औदारिकवक्रियिकाहारकतैजसकार्मणशरीरसंघातनामेति । शरीरसंस्थानं नाम षड्विधं-समचतुरस्र१५ संस्थान नाम न्यग्रोधपरिमण्डलस्वातिकुब्जवामन हण्डशरीरसंस्थाननाम चेति । शरीराङ्गोपाङ्गनाम त्रिविधं
औदारिकवैक्रियिकाहारकशरीराङ्गोपाङ्गनामेति ॥२७॥
पन्द्रह भेद होते हैं। इनमें औदारिक औदारिक आदि कार्मणकार्मणपर्यन्त समान दो संयोगी पाँच भेद पुनरुक्त हैं इनको छोड़कर शेष दस भेद तिरानबेमें जोड़नेपर नामकर्म की उत्तर
प्रकृतियाँ १०३ ( एक सौ तीन ) होती हैं। शरीरबन्धननामके पाँच भेद हैं-औदारिक शरीर२० बन्धननाम, वैक्रियिक शरीरबन्धननाम, आहारक शरीरबन्धननाम, तेजस शरीर बन्धन
नाम, कार्मेण शरीरबन्धननाम । शरीर संघात नामके पाँच भेद हैं-औदारिक शरीर संघात नाम, वैक्रियिक शरीर संघात नाम, आहारक शरीरसंघातनाम, तेजस शरीर संघात नाम, कार्मेण शरीर संघात नाम । शरीर संस्थान नामके छह भेद हैं-समचतुरस्रसंस्थाननाम, न्यग्रोध परिमण्डल संस्थान नाम, स्वातिसंस्थान नाम, कुब्जसंस्थान नाम, वामन
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