Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 1
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका
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२८।२९।३०। ३१ । १ । स्थानसबंधप्रकृतिगरंगेकचत्वारिंशज्जीवपवंगळोळ स्वामित्वमुं पेळल्पडुगुमप्पुवरिनिल्लि प्रवेशबंधप्रकरणवोळु द्रव्यविभंजनक्रममेकदेशदिवं सूचिसल्पट्टुवु: :
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एवं वक्ष्यमाण शेष २५ | २६ । २८ । २९ । ३० । ३१ । १ । स्थानेष्वप्येकचत्वारिशज्जीवपदेषु वक्तव्यं इति अत्र प्रदेशबन्धप्रकरणे द्रव्यविभञ्जनक्रमः सूचितः ॥ २०६॥
निर्माण
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इकतालीस जीवपदोंमें नामकर्म के स्थानोंका बन्ध जिस प्रकारसे होता है उसका कथन आगे करेंगे। इस प्रकार प्रदेशबन्ध के कथनमें द्रव्यका बँटवारा कहा । उसका आशय यह है कि समयप्रबद्ध प्रमाण परमाणुओं में जिस प्रकृतिका जितना द्रव्य कहा उतने परमाणु उस प्रकृतिरूप परिणमते हैं ।
१०
विशेषार्थ -- कोई बहुभाग आदिको न समझता हो तो उसके लिए दृष्टान्त द्वारा समझाते हैं— जैसे सर्वद्रव्य चार हजार छियानबे ४०९६ है । उसका बँटवारा चार जगह करना है । प्रतिभागका प्रमाण आठ है । सो चार हजार छियानबेको आठसे भाग दें। एक भाग बिना बहुभाग ३५८४ आया; क्योंकि चार हजार छियानबेमें आठका भाग देने से लब्ध पाँच सौ बारह आया । उसे चार हजार छियानबेमें घटानेपर ३५८४ रहा । उसके चार समान भाग करनेपर एक-एक भागमें आठ सौ छियानबे आये । शेष एक भाग पाँच
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बारह में प्रतिभाग आठका भाग देनेपर चौंसठ आये । सो अलग रख बहुभाग चार सौ अड़तालीस बहुत द्रव्यवालेको देना । शेष एक भाग चौंसठ में प्रतिभागका भाग देने पर आठ आये । उसे अलग रख बहुभाग छप्पन उससे हीन द्रव्यवालेको देना । शेष एक भाग आठमें
क- ३२
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