Book Title: Gnatadharmkathang ka Sahityik evam Sanskrutik Adhyayan
Author(s): Rajkumari Kothari, Vijay Kumar
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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________________ 16 ज्ञाताधर्मकथांग का साहित्यिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन विभिन्न आयाम प्रतिपादित हैं। दिगम्बर परम्परा आगमों को लुप्त मानती है, वे केवल बारहवें अंग दृष्टिवाद के कुछ अंश को मानकर उसी के आधार पर आगम रूप में मान्य उनके ग्रन्थों की रचना हुई ऐसा बताते हैं। ज्ञाताधर्मकथा अंग आगम साहित्य का प्रथम कथा ग्रन्थ है। यह एक ऐसा आगम है जिसमें संवाद शैली के आधार पर धर्मतत्त्व, नीति, सदाचार, सद्भावना विषयक इच्छानिरोध, अणुव्रत, महाव्रत, शील, संयम, चारित्र, तप, ब्रह्मचर्य आदि के स्वरूप को दृष्टान्तों द्वारा प्रस्तुत किया गया है। आगमों में यही एक मात्र ऐसा ग्रन्थ है जिसमें उपदेश तत्त्व को सरल कथात्मक रूप से प्रस्तुत किया गया हैं। / इसकी वस्तुस्थिति में जो कुछ भी प्रस्तुत किया गया है वह महावीर समकालीन कहा जा सकता है। यह भी विचारणीय है कि जिस समय लेखन-विधि नहीं थी, उस समय भी नाना प्रकार के मनोरंजन के साधन थे। उन साधनों में कहानी-किस्से भी प्रचलित थे तभी तो ज्ञातपुत्र महावीर के द्वारा विस्तृत कथा का निरूपण किया गया। यद्यपि कथाएँ संकलित की गईं, परन्तु संकलनकर्ताओं ने उनके ऐतिह्य में कोई परिवर्तन नहीं किया। यही ज्ञाताधर्म की मूल आत्मा है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org