Book Title: Gnatadharmkathang ka Sahityik evam Sanskrutik Adhyayan
Author(s): Rajkumari Kothari, Vijay Kumar
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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________________ 36 ज्ञाताधर्मकथांग का साहित्यिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन चित्रण में आधुनिक उपन्यासिक शैली के साथ तुलनात्मक अध्ययन भी प्रस्तुत किया जा सकता है। (ब) टीकायुगीन कथाएँ प्राकृत कथाओं के टीकायुगीन कथा साहित्य उपमाओं, रूपकों और प्रतीकों पर आधारित हैं। नियुक्तियों में निजन्धरी कथाएँ मात्र कथात्मक संकेत प्रदान करती हैं। कथा साहित्य की दृष्टि से नियुक्तियों में उतनी सामग्री नहीं है जितनी कि भाष्यों, चूर्णियों व टीकाओं में हैं। आवश्यकचूर्णि और दशवैकालिक की कथाएँ तो इतनी लोकप्रिय हुईं कि उनका अलग प्रकाशन हो चुका है। प्राकृत कथा साहित्य की दृष्टि से आवश्यकचूर्णि, सूत्रकृतांगचूर्णि, निशीथचूर्णि और दशवैकालिकचूर्णि आदि समृद्धशाली हैं। आवश्यकचूर्णि में ऐतिहासिक कथाओं में प्रमुख रूप से राजा शालिवाहन की नयोवाहन पर विजय, 1 महावीर की प्रथम शिष्या चन्दनबाला,२ श्रेणिक और चेलना का विवाह,३ कूटनीतिज्ञ चाणक्य आदि का वर्णन है। अर्द्धऐतिहासिक में रानी मगावती का कौशल, 5 राजा उदयन और प्रद्योत शका युद्ध आदि का उल्लेख है। धार्मिक कथाओं में वल्कलचीरी, ऋषिकुमार, धूर्त वणिक, व्यवसायी कृतपुण्य एवं लौकिक कथाओं में लालच बुरी बलाय,१° पंडित कौन, 11 चतुर गेहक, 12 चतुराई का मूल्य, 13 पढ़ो और गनो भी, 14 आदि कथाएँ समाहित हैं। दशवैकालिकचूर्णि में ईर्ष्या मत करो, 15 अपना-अपना पुरुषार्थ,१६ और गीदड़ की राजनीति१७ से युक्त लोककथाएँ हैं। निशीथचूर्णि में अन्याय के प्रतिकार के लिए कालकाचार्य 18 की कथा आयी है। सूत्रकृतांगचूर्णि में आर्द्रक कुमार 19 की कथा, हस्ति तापस२०, निराकरण कथा, 1. आवश्यक चूर्णि 2, पृ. 201 2. वही, पृ. 316-20. 3. वही, पृ. 164. 4. वही, पृ. 563-565. 5. वही, पृ. 67-91 6. वही, पृ. 166. 7. . वही, पृ०-४५६. 8. वही, पृ०-५३१. 9. वही, पृ०-४६७. 10. वही, पृ०-१६९. 11. वही, पृ०-५२२. 12. वही, पृ०-५४४. 13. वही, पृ०-५७-६०. 14. वही, पृ०-५५३. 15. वही, पृ०-९८. 16. वही, पृ०-१०३-१०४. 17. वही, पृ०-१०४. 18. निशीथ-चूर्णि उद्देशक 10, पृ० 571. 19. सूत्रकृतांग चूर्णि, पृ०-४१४-४१५. 20. वही, पृ०-४४१. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org