Book Title: Gnatadharmkathang ka Sahityik evam Sanskrutik Adhyayan
Author(s): Rajkumari Kothari, Vijay Kumar
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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________________ 34 ज्ञाताधर्मकथांग का साहित्यिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन कथाओं का वर्णन है। अन्तकृतदशांग में उन महापुरुषों के जीवन का चरित्र-चित्रण है जिन्होंने अपने कर्मों का क्षय कर मोक्ष प्राप्त कर लिया है। अनुत्तरौपपातिकदशा में ऐसे व्यक्तियों का चरित्र है, जिन्होंने मोक्ष तो प्राप्त नहीं किया, परन्तु अपनी दिव्य साधना द्वारा अनुत्तर विमान को प्राप्त किया है। अर्थात् इसमें दिव्य आत्माओं के चरित्र का समावेश है। विपाकसूत्र में शुभ/अच्छे और अशुभ/बुरे फल से सम्बन्धित बीस प्रेरणादायी कथाएँ हैं। औपपातिकसूत्र में पुनर्जन्म से सम्बन्धित कथाएँ हैं। इसी में महावीर और गौतम के प्रश्नोत्तर कथात्मक रूप में हैं। राजप्रश्नीय. में प्रदेशी और केशी के दृष्टान्त हैं। कल्पिका अजातशत्रु के दस भाइयों और चेटक राजा के बीच युद्ध का वर्णन करनेवाला आगम है। कल्पन्तसिका में राजपुत्रों की कथाएँ हैं जो सत्कर्म के कारण स्वर्ग प्राप्त करते हैं। पुष्पचूला में पुष्पक विमानों से आनेवाले देवी-देवताओं की कथाएँ हैं। . वृण्हिदशा में वृण्हि कुमार की दीक्षा का प्रसंग है। . निरयावलीसूत्र कोणिक, श्रेणिक और चेलना के जीवन से सम्बन्धित कथाएँ में हैं। उत्तराध्ययन में भावपूर्ण और शिक्षापूर्ण कथाओं का संग्रह है। इस ग्रन्थ में कपिल, हरिकेश,२ चित्रसम्भूत, 3 श्रीकृष्ण, अरिष्टनेमी और राजीमती,४ चोर५, विजयघोष,६ जयघोष और शकट की कथाएँ हैं। दृष्टिवाद में 120 अक्रियावादियों, 84 क्रियावादियों, 67 अज्ञानवादियों, 32 1. उत्तराध्ययन, अध्ययन 8. 3. वही 13. 5. वही 4/3. 7. वही 27/2. 2. 4. 6. वही 12. वही 22. वही 25/44. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org