Book Title: Gnatadharmkathang ka Sahityik evam Sanskrutik Adhyayan
Author(s): Rajkumari Kothari, Vijay Kumar
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 140
________________ ज्ञाताधर्मकथांग का भाषा विश्लेषण . 127 होत्था 1/161, 2/3 एस गयो 1/180 . उइन्नो 1/168 (उतर गये) कओ 1/180 खुत्ते 1/169 (फंस गये) __पनत्ते 2/1 तुमं पयाया 1/171 (बुरी स्थिति रही) / धम्मो कहिओ 2/50 विरित्था 1/171 वयासी 9/40 (कहा) पडिगए 1/170 (गिर गये) नोट:(१) अत्थि का सभी वचनों में एक ही तरह का प्रयोग है। (2) ज्ञाताधर्मकथा में प्राय: था, थी एवं थे के लिए "होत्था' का प्रयोग हुआ है यथा- जक्खायवणे होत्था उज्जाणे होत्था 5/4, जुवराया याविं होत्था- 8/7 (3) भूतकाल में था, थी एवं थे के लिए ज्ञाताधर्म में “आसि' का प्रयोग भी हुआ है। यथा- मणामा आसि 14/30 / (10) भविष्यत् काल' एकवचन बहुवचन प्रथम पुरुष भविस्सई 1/38, 1/63 जाएस्सइ 7/7 संकिलिस्संति 1/114 सिज्झिहिइ, तुज्झिहिइ, मुच्चिहिइ परिनिव्वाहिइ काहिइ 1/217 विणिहिइ 1/66 मध्यम पुरुष पव्वइस्ससि 1/121, 1/222 उत्तमपुरुष करिस्सामि 1/63, . ___पव्वइस्सामि 1/115 चिट्ठिस्सामो 9/182 1. भविष्यत्काल में ति, सि आदि प्रत्यय लगने पर भी "अ" का "ए" और "अ" का "आ" भी होता है। / 2. भविष्यकाल में दो तरह के प्रयोग मिलते हैं, प्रथम प्रयोग "स्स" और द्वितीय प्रयोग “हि" जैसे- बहस्संति, चिट्ठिस्सामो 9/40, करेहिइ 9/39. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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