Book Title: Gnatadharmkathang ka Sahityik evam Sanskrutik Adhyayan
Author(s): Rajkumari Kothari, Vijay Kumar
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 157
________________ 144 . ज्ञाताधर्मकथांग का साहित्यिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन एवं रत्नद्वीप देवता नामक देवी के निवास स्थान के चारों ओर में चार वनखण्ड थे जिनके नामों का उल्लेख नहीं है। उस प्रासाद के दक्षिण दिशा में जो वनखण्ड स्थित था उसे दुर्गन्धयुक्त कहा गया है। इसका कारण यही कहा जा सकता है कि उस वन में जो दुर्गन्ध आती थी वह सॉप आदि के मृत कलेवर से रही होगी। वहाँ प्राणी रक्षा का अभाव रहा होगा इसलिए दक्षिण दिशा का यह वनखण्ड दुर्गन्धित, प्रदूषित वातावरण से युक्त रहा होगा। गुफा . ___एक मात्र सिंह गुफा का उल्लेख ही ज्ञाताधर्म में मिलता है। पंचम अध्ययन में गुफा का उल्लेख नहीं है, परन्तु बहुसंख्यक गुफाएँ रेवतक पर्वत में थीं, ऐसा उल्लेख है। द्वीप कालिकद्वीप- कालिकद्वीप जहाँ पर चाँदी, सोने, रत्नों, हीरों आदि की खाने थीं। उसमें विविध प्रकार के अश्व भी प्राप्त होते थे। कालिकद्वीप को समृद्धशाली द्वीप भी कहा गया है। __. जम्बूद्वीप- प्रायः कथानक के प्रारम्भिक वर्णन में जम्बूद्वीप को किसी न किसी रूप में अवश्य लिया गया है। इसे अत्यन्त बड़ा द्वीप माना है।६ रत्नद्वीप- यह द्वीप अनेक योजन लम्बा, चौड़ा एवं अनेक योजन घेरे वाला था। इसके प्रदेश में अनेक प्रकार के वनखण्ड भी थे।७. पर्वत रेवतक पर्वत जिसे गिरनार भी कहते हैं। यह फूलों के गुच्छों, लताओं और बल्लियों से व्याप्त था। हंस, मृग, मयूर, कोंच, सारस, चक्रवाक और कोयल आदि पक्षियों के झुण्डों, झरने, जलप्रपात आदि से सुशोभित था। इस तरह नदी, उपवन, द्वीप आदि के भौगोलिक विवेचन सम्बन्धी पर्याप्त सामग्री इस ग्रन्थ में समाविष्ट हैं जिनमें से विस्तार भय के कारण कुछ का ही उल्लेख यहाँ किया गया है। 1. ज्ञाताधर्मकथांग, 9/13. 2. वही, 9/32. 3. वही, 18/24. 4. वही, 5/3. 5. वही, 17/9. 6. वही, 1/13. 7. वही, 9/12. 8. वही, 5/3. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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