Book Title: Gnatadharmkathang ka Sahityik evam Sanskrutik Adhyayan
Author(s): Rajkumari Kothari, Vijay Kumar
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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________________ 126 . ज्ञाताधर्मकथांग का साहित्यिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन करेज्जामि 2/35 जीवानो 1/121, इच्छामो 1/121 अवक्कमामो 2/36, घडेमो 8/39 नोट:(१) वर्तमान काल प्रेरणार्थक में निम्न प्रयोग होता है। घोसिज्जई, दिज्जए 8/161 . (2) विहरेज्जाद 9/22, गच्छेज्जाह, भवेज्जाह 9/23, म.पु. बहुवचन (3) वर्तमान काल में 'ति' 'इ' 'अति', सि आदि प्रत्यय के पूर्व 'अ' का 'ए' भी हो जाता है जैसे करेई 2/23 (4) मध्यम पुरुष में 'सि' प्रत्यय से पूर्व 'अ' और 'ए' के अतिरिक्त 'आ'. का भी प्रयोग हुआ है। जैसे 'पाया एज्जासि' 2/14 / (5) उत्तम पुरुष में एकवचन एवं बहुवचन में प्रत्ययों से पूर्व 'अ' का 'ए' 'अ' . का 'आ' भी होता है। कहीं-कहीं पर ऐसा नहीं भी है। 'इच्छामि' 5/39 अणुवढ्डेमि 2/13 (6) उत्तम पुरुष के बहुवचन में 'मो' प्रत्यय के पहले 'अ' को 'ए', 'अ का . आ' भी हुआ है। जैसे- भवेज्जामि 14/30 (7) वर्तमान काल के प्रेरणार्थक में 'आव' 'आवे' जैसे प्रत्ययों का प्रयोग भी पाया जाता है। जैसे- मज्जेवइ, करावेइ 16/127 . (8) वर्तमान काल में 'अस्' घातु का तीनों लिंगों एवं दोनों वचों में 'अत्थि' का . प्रयोग होता है। यथा- अत्थि णं चोक्खा 8/113 तं अत्थि याइं में अज्जाओ (9) भूतकाल? एकवचन बहुवचन पडिगया 1/158 वयासी 1/159 अमिरमेत्था 1/174 1. नोट- अर्धमागधी प्राकृत के भूतकाल में “इंसु", सु, अंसु, आदि प्रत्यय की बहुलता है। इंसु- अणुपव्वइंसु 8/184. एकवचन बहुवचन प्रथम पुरुष इच्छिंसु इच्छिंसु मध्यम पुरुष इच्छिंसु इच्छिंसु उत्तम पुरुष इच्छिंसु इच्छिंसु Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org